- स्टेबिन बेन से लेकर अरिजीत सिंह तक: 2024 के यादगार लव एंथम देने वाले सिंगर्स पर एक नज़र!
- अक्षय कुमार और गणेश आचार्य ने "पिंटू की पप्पी" फ़िल्म का किया ट्रेलर लॉन्च!
- Sonu Sood Graced the Second Edition of Starz of India Awards 2024 & Magzine Launch
- तृप्ति डिमरी और शाहिद कपूर पहली बार करेंगे स्क्रीन शेयर - विशाल भारद्वाज करेंगे फिल्म का निर्देशन
- बॉलीवुड की अभिनेत्रियाँ जिन्होंने सर्दियों के स्टाइल में कमाल कर दिया है
गंभीर बीमारियों के लिए भी भरोसेमंद पद्धति है आयुर्वेद
इंदौर. हमारे देश की प्राचीन पद्धतियों में से एक विश्वसनीय नाम आयुर्वेद का भी है। प्राचीन समय से हम इसका उपयोग स्वस्थ रहने और बीमारियों का इलाज करने में कर रहे हैं। आज भी इस पद्धति से मिलने वाले परिणाम लोगों को इसे अपनाने को प्रेरित करते हैं।
यही कारण है कि गंभीर बीमारियों के लिए भी आयुर्वेद पर लोगों का भरोसा और पक्का हुआ है। ऐसी बीमारियों में स्ट्रोक और हड्डियों से जुडी समस्याएं भी शामिल हैं। यह बात शहर में हुए एक विशेष आयोजन में ऑर्थोपीडिक एवं न्यूरोलॉजिकल बीमारियों-समस्याओं के समाधान का 35 वर्षों का अनुभव रखने वाले, केरल के ख्यात चिकित्सक तथा डायरेक्टर अकामी आयुर्वेदा, डॉ. विनोद कुमार (एमडी, आयुर्वेद) ने कही।
डॉ. विनोद ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर सम्पन्न इस तीन दिवसीय आयोजन के अंतर्गत उपस्थित श्रोताओं की जिज्ञासा का समाधान किया और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के लाभ विस्तार से बताये। उन्होंने हड्डियों से जुड़ी समस्याओं जैसे आर्थराइटिस यानी गठिया में आयुर्वेदिक इलाज के सफल परिणामों के बारे में बात की और खासतौर पर स्ट्रोक तथा इसके कारण लकवे जैसी गंभीर समस्याओं के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण बातें साझा की।
डॉ.विनोद ने बताया कि स्ट्रोक के समय लक्षणों पर ध्यान देते हुए त्वरित इलाज की ओर कदम बढ़ाना सबसे महत्वपूर्ण होता है। इससे किसी व्यक्ति की जान बचाने और नुकसान को रोकने का प्रतिशत काफी बढ़ जाता है। स्ट्रोक एक ऐसी समस्या है जिसमें त्वरित इलाज न मिलने से लकवे की स्थिति बनने या जान तक जाने का खतरा हो सकता है।
इस समस्या का इलाज मुख्यतः इस बात पर निर्भर करता है कि दिमाग के किस हिस्से को कितना नुकसान पहुंचा है। स्ट्रोक कई प्रकार का हो सकता है इसलिए तुरंत सही स्थिति का डायग्नोज होना तथा सही चिकित्स्कीय देखभाल मिलना अधिकतम संभावित उपचार मिलने का एकमात्र तरीका हो सकता है।
डॉ. हरीश वॉरियर ने बताया कि स्ट्रोक मैनेजमेंट के दो मुख्य चरण होते हैं, जिनमें पहला चरण आपातकालीन चिकित्स्कीय देखभाल से जुड़ा होता है ताकि दिमाग के ऊतकों को आगे होने वाले नुकसान से बचाया जा सके और आगे स्ट्रोक की आशंका को कम से कम किया जा सके। दूसरा चरण स्ट्रोक के बाद के प्रबंधन से जुड़ा है और इसमें आयुर्वेदिक थैरेपीज की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो सकती हैं. इस दौरान फिजियोथैरेपी भी बहुत मददगार साबित होती है.
स्ट्रोक हर व्यक्ति पर अलग तरह से प्रभाव डालता है। कई लोगों को इससे उबरने में कई सालों का लम्बा समय भी लगता है। स्ट्रोक से होने वाली क्षति की रिकवरी में शारीरिक, सामाजिक तथा भावनात्मक स्तरों पर परिवर्तन की भी आवश्यकता होती है। जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन कर भविष्य में स्ट्रोक की आशंका को कम करने की कोशिश की जा सकती है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि रिकवरी की प्रक्रिया को तुरंत शुरू कर दिया जाए ताकि दिमाग और शरीर के प्रभावित कार्यों को पुनः प्रारम्भ किया जा सके।
इस समय आयुर्वेद थैरेपी से रक्त संचार को सुचारू बनाने, प्रोत्साहित करने तथा नर्वस सिस्टम को पुनर्जीवन देने, मांसपेशियों को मजबूती देने तथा मरीज को पूरी तरह ऊर्जावान बनाने का प्रयास किया जाता है. थैरेपी से मिलने वाले परिणाम मरीज की विभिन्न स्थितियों पर निर्भर कर सकते हैं। आवश्यक यह है कि एक बार रिकवरी होने बाद भी साल में एक बार आयुर्वेदा थैरेपी को अपनाया जाए और किसी प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति या संस्थान से ही ये थैरेपी करवाई जाएँ।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में तीन दिवसीय लकवा एवं ऑर्थो परामर्श शिविर का आयोजन किया गया था। जिसका बड़ी संख्या में लोगों ने लाभ लिया। इस शिविर में डॉ. विनोद कुमार के साथ ही डॉ. हरीश वॉरियर (बीएएमएस, एफओआर ऑर्थो) तथा डॉ. लक्ष्मी प्रसन्नकुमार (बीएएमएस,एफएनआर न्यूरो) ने अपनी टीम के साथ लोगों की जांच की। इस अवसर पर शहर में कुछ ही समय पूर्व उद्घाटित हुए अकामी आयुर्वेदा क्लिनिक एन्ड हॉस्पिटल में दवाइयों पर विशेष छूट भी प्रदान की गई। इस शिविर का आयोजन मुख्यतः लोगों को आयुर्वेद से होने वाले फायदों से परिचित करवाना तथा उनमें इस पद्धति के प्रति जागरूकता पैदा करना था।