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एथलिट होना तपस्या की तरहः फरहान
इंदौर. किसी भी एथेलिट को बलिदान देना पड़ता है. जीवन में बहुत सी चीजों को नहीं कहना पड़ता है. एथलिट होना एक तरह की तपस्या है. मिल्खा सिंह से मैंने सीखा है कि किस तरह काम में खुद को झोंकना पड़ता है. यह बात अभिनेता फरहान अख्तर ने कही. वे अपनी फिल्म तूफान को लेकर वर्चुअल चर्चा कर रहे थे. उनके साथ फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा और अभिनेत्री मृणाल ठाकुर भी मौजूद थी. फिल्म में फरहान एक बॉक्सर का किरादर निभा रहे हैं.
चर्चा करते हुए फरहाने कहा कि तूफान के साथ मुझे यह जानने का मौका मिला कि आप फिजिकली कितने भी ताकतवर क्यों न हों, एक बॉक्?सर होना बिलकुल ही अलग तरह का अनुभव है। इस किरदार की शारीरिक और भावनात्मक तैयारी के लिये मैं दिन में 8 से 9 घंटे की कड़ी ट्रेनिंग से होकर गुजरा. इसके लिए 8 महीने तैयारी की है. यह किरदार और कहानी मेरे दिल के काफी करीब है. इस किरदार के लिए मैं जितनी कोशिश कर सकता था की है. अजीज अली के किरदार की एम इमोशनल जर्नी दिखाई है. इस किरदार से मैंने सीखा है कि हार मिले तो भी उसे फायनल हार नहीं माने. यहां से भी उठकर आगे बढऩा है. उन्होंने बताया कि मैं 3-4 बार इंदौर आया हूं. मैंने यादगार म्यूजिक कंसर्ट किया है. मेरा इंदौर से म्यूजिक का एसोसिएशन है. उसे कभी भी नहीं भूलूंगा.
निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कहा कि जीवन में उतार-चढ़ावे से डरना नहीं चाहिए. सबसे ज्यादा सीख डर से ही मिलती है. इसलिए हमने ओटीटी पर रिलीज करने का फैसला लिया. हमने मन लगाकर काम किया है. 200 देशों में एक साथ रिलीज हो रही है. अंग्रेजी में भी डब की गई है. समय के साथ चलना पड़ता है. उन्होंने बताया तूफान की कहानी के मूल में वे सारी चुनौतियाँ हैं जिससे लोगों को होकर गुजरना पड़ता है और यह कहानी कहती है कि किस तरह लोगों को हार नहीं माननी चाहिये. यह रिश्तों की फिल्म है लेकिन आसान भी नहीं थी.
मृणाल ठाकुर ने बताया कि इस फिल्म में काम करना सपनों के सच होने जैसा है फरहान और राकेश सर के साथ काम करना. पहले हफ्ते में काफी नर्वस थी लेकिन जैसे-जैसे सीन किए आसान होता गया. सुप्रिया मैडम, परेश रावल के साथ काम करके बहुत कुछ सीखने को मिला. उनसे पूछती भी थी कैसे करना है. पूरी टीम की सपोर्ट की वजह से आसान हो गया.