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इंफेक्शन से बचाने के लिए आता है बुखार
इंदौर एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने बदलते मौसम में होने वाले रोगों की जानकारी देंने के लिए की विशेष कार्यशाला
इंदौर। इंदौर एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने बदलते मौसम के साथ होने वाली बीमारियों, उनके इलाज और रोकथाम के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से एक खास कार्यशाला का आयोजन किया। लगभग 2 महीनों से शहर में सर्दी, खासी और बुखार का दौर चल रहा है।
इन विषय पर मुंबई से आए डॉ श्रीधर गणपति ने कहा कि शरीर में किए भी प्रकार का इंफेक्शन पहुँचने पर इससे बचाव के फलस्वरूप बुखार आता है इसलिए बुखार में परेशान नही होना चाहिए।
इस दौरान आपको सिर्फ खूब सारे आराम, तरल पदार्थ और सादा पौष्टिक आहार लेने की जरूरत है। इससे शरीर में पानी की कमी भी नही होगी और शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बनी रहेगी। सामान्य बुखार 3 से 5 दिनों तक रहता है पर इस मौसम में होने वाला बुखार के 10 प्रतिशत मामलों में बुखार ठीक होने में 7 से 10 दिन भी लग सकते हैं।
लाल दाने नही है माता आने का लक्षण
एक्सपर्ट्स ने बताया कि इन दिनों “हैंड फुट माउथ डिसीज़” काफी सामान्य है। इसमें हाथ, तलुए और मुँह के अंदर लाल दाने दिखाई देते हैं पर इसके प्रेजेंटेशन में परिवर्तन आया है। अब इस बीमारी में घुटने, पीठ और गर्दन पर भी दाने दिखाई देने लगे है, जिससे लोग इसे बड़ी या छोटी माता समझ कर डर जाते हैं पर इससे डरने की कोई जरूरत नही है। 4-5 दिन में यह अपनेआप ठीक हो जाती है।
दिल्ली से आए डॉ अरुण वाधवा ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में सफाई के चलते मलेरिया के मामले जरूर कम हुए है पर साफ पानी में पनपने वाले एडिस मच्छर से होने वाले डेंगू रोग के मरीजों की संख्या 4 से 5 % तक बड़ी है। यह एक वाइरल बुखार है जो हर केस में जानलेवा नही होता। सामान्य वायरल बुखार की तरह इसमें सिरदर्द, बदनदर्द, शरीर में लाल चकते दिखाई देने जैसे लक्षण दिखते हैं, जो 4 से 5 दिन में ठीक हो जाते हैं।
10 से 20 % मरीजो में बुखार उतरने के बाद अत्यधिक थकान, तेज़ सिरदर्द, पेटदर्द, उल्टियां और बढ़ते लाल चकतों जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, इनके दिखने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है।
डॉ वाधवा ने कहा कि सर्दी में बार-बार दवा बदल कर लेने से मरीज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। धूल, नमी, तेज़ परफ्यूम और पालतू जानवरों से दूर रहकर सर्दी से बचाव सम्भव है। 2 साल से ऊपर के बच्चो में नेसल स्प्रे एलर्जी से बचने का कारगर उपाय है।
हर बार कफ में ना ले दवाई
डॉ महेश मोहिते ने बताया कि कफ हमारे स्वशनतंत्र को ठीक रखता है इसलिए हर बार कफ में दवा नही लेनी चाहिए। मौसम बदलने पर होने वाला कफ 8 से 10 दिनों में स्वतः ठीक हो जाता है। कफ की दवाइयों के अपने साइड इफेक्ट है और अलग-अलग कफ में अलग-अलग दवा लेनी होती है इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना कफ में दवाई ना लें। सामान्य कफ में गुनगुना पानी पीने या शहद लेने जैसे घरेलू उपाय भी कारगर है।