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मक्खन पर नहीं, पत्थर पर लकीर खींचने यहां आई हूं: साध्वी मयणाश्रीजी
दो घंटे के धाराप्रवाह उद्बोधन में बताई जैन समाज की गौरव गाथा-पूछे अनेक सवाल
इंदौर। हमारी नई पीढ़ी जैन धर्म के गौरवशाली इतिहास से या तो वाकिफ ही नहीं है या उसकी श्रद्धा मजबूत नहीं है। इसी कारण आज जैन समाज खंड-खंड में बंट गया हैं। 22 सौ वर्ष पूर्व जैन समाज की आबादी 40 करोड़ थी और जैन धर्म पूरे विश्व में, यहां तक कि फ्रांस, अमेरिका, अफगानिस्तान,यूरोप,रूस और अन्य तमाम देशों में फैला हुआ था। इजराईल, नेपाल आदि देशों की संस्कृति पर भी जैन धर्म का गहरा प्रभाव था लेकिन विडंबना है कि आज सरकारी आंकड़ों में जैन समाज की जनसंख्या मात्र 46 लाख रह गई है। जो समाज अपना इतिहास भूल जाता है, उसका भविष्य कुछ नहीं होता। मक्खन पर लकीर खींचने वाले तो बहुत लोग है, लेकिन मैं तो पत्थर पर लकीर बनाने इंदौर आई हूं। इस शहर में समग्र जैन समाज के लिए एक संकुल, कन्या छात्रावास, स्कूल एवं अस्पताल की स्थापना कराने का मेरा संकल्प तभी साकार होगा, जब आज की तरह समूचा जैन समाज एक जाजम पर जमा होगा।
ये ओजस्वी एवं प्रेरक विचार है ‘हेप्पी वूमन-हेप्पी वर्ल्ड‘ और जैन इंटरनेशनल वूमन आर्गनाइजेशन की संस्थापक साध्वी श्री मयणाश्रीजी म.सा. के, जो उन्होने आज बॉस्केटबाल काम्प्लेक्स पर ‘जैन धर्म – कल, आज और कल’ विषय पर आयोजित विशाल शिविर को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
शिविर में पहली बार शहर के सभी जैन संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे जिनमें स्थानकवासी जैन समाज की ओर से चंदनमल चौरडि़या, तेरापंथी जैन समाज से भंवरलाल कासवा, श्वेताबंर जैन समाज से शांतिप्रिय डोसी एवं विजय मेहता, दिगम्बर जैन समाज से अशोक बड़जात्या एवं अशोक डोसी, मारवाड़ी जैन समाज से दिलीप सी. जैन, अ.भा. जैन महिला महासंघ की अध्यक्ष श्रीमती रेखा वीरेंद्र जैन, जैन सोशल ग्रुप इंटरनेशनल फेडरेशन से ललित सी. जैन सहित शहर के सभी जैन घटकों के पदाधिकारी शामिल थे।
देवी अहिल्या विवि. के कुलपति डॉ. एन के धाकड, राजेश चेलावत, दिलसुख राज कटारिया, शिखर चंद नागोरी, सुजानमल वोरा, राजीव भांडावत, मनीष सुराना, भरत कोठारी भी इस शिविर में उपस्थित थे। प्रारंभ में श्री श्वेतांबर जैन तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट एवं श्री पार्श्वनाथ जैन संघ रेसकोर्स रोड की ओर से डॉ. प्रकाश बांगानी, यशवंत जैन, विनोद- उर्मिला वोरा, कीर्ति भाई डोसी, डॉ. शरद डोसी, पार्षद दीपक जैन टीनू, पुखराज बंडी, अशोक जैन,हेमंत जैन, विपिन सोनी आदि ने सभी अतिथियों का स्वागत कियां।
ट्रस्ट की ओर से लाभार्थी वोरा परिवार का बहुमान किया गया। शिविर में लगभग 4 हजार समाज बंधु सपरिवार शामिल हुए। साध्वी मयणाश्रीजी ने मंच पर उपस्थित जैन समाजसेवियों से सेवा प्रकल्पों से जुड़ें सवाल भी पूछे। प्रवचनों के दौरान पूरे दो घंटो तक सभागृह में आवाजाही प्रतिबंधित रही। संचालन यशवंत जैन ने किया। इसके पूर्व मंगलाचरण एवं भक्तिगीत के साथ शिविर का शुभारंभ हुआ। शिविर में दो हजार से अधिक महिलाएं भी उपस्थित थी।
इतिहासकारों के हवाले से साध्वी मयणाश्रीजी ने कहा कि फ्रांस, अमेरिका, अफगानिस्तान जैसे देशों में खुदाई में जैन मूर्तिया प्राप्त हुई हैं। अफगानिस्तान में पौने दो किमी. लंबी पर्वत श्रृंखला से भी जैन मूर्तियां मिली। इजरायल में आदिनाथ भगवान के माता-पिता की पूजा होती है। मक्का-मदीना में भी जैन मंदिर थे। चीन, पाकिस्तान , बांग्लादेश में भी जैन मंदिर थे। देश के अनेक तीर्थ स्थलों पर भी पहले जैन मंदिर ही थे, बाद में दूसरे धर्मो के तीर्थ स्थल बन गये।
देश के लगभग सभी राज्यों में जैन धर्म का जबरदस्त प्रभाव था लेकिन आक्रमणकारियों ने सबकुछ नष्ट कर दिया और लाखों लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य किया। इतिहास मे ये सभी तथ्य दर्ज हैं। पिछले एक हजार वर्ष में 8 लाख जैन मंदिर तोड़े गये, 1 करोड़ प्रतिमाओं को नष्ट किया गया और 10 करोड़ जैन बंधुओं को यातनाएं दे कर मौत के घाट उतार दिया गया।
22 सौ वर्ष पूर्व जैन समाज की जनसंख्या 40 करोड़, 13 सौ वर्ष पूर्व 16 करोड़, 9 सौ वर्ष पूर्व साढ़े 8 करोड़ और 5 सौ वर्ष पूर्व साढ़े 3 करोड़ जनसंख्या थी लेकिन यह चिंतन का विषय है कि आज सरकारी आंकड़ों में हमारी संख्या केवल 46 लाख रह गयी है। बाकी सभी समाज फैलते रहे, हम सिमटते रहे। हमे चिंतन करना होगा कि आज इतना महान और विज्ञान सम्मत आदर्श धर्म इतना पीछे क्यों रह गया हैं ।
अपने दो घंटे के धाराप्रवाह उद्बोधन में साध्वी श्रीजी ने कहा कि हम लगातार टूटते और बिखरते रहे क्योकि हम खंड-खंड में बटते चले गये। स्वधर्म के प्रति हमारा समर्पण घटता गया। अपने धर्म के प्रति हमारी निष्ठा भी बट गई और जिसने जहां बता दिया, वहां जा कर मत्था टेकने लगे। हमारी आपसी एकता नहीं होने से तीर्थराज शिखरजी का मामला अभी भी न्यायालयों में चल रहा है।
सौ वर्षाे से चल रही लड़ाई में हम एक विश्वविद्यालय की स्थापना के खर्च बराबर पैसा फूंक चुके हैं। केसरियाजी ट्रस्ट का विवाद भी इसी तरह उलझा हुआ है। हमारी लड़ाई में सरकार लाभ उठा रही है। इंदौर में जैन समाज की आबादी ढाई लाख है लेकिन आज भी हमारे पास कोई मेरिज गार्डन, गर्ल्स होस्टल, संकुल, स्कूल या अस्पताल नहीं है। आज इस मंच पर समग्र जैन समाज मौजूद है, मैं उनसे पूछती हूं कि आपके इंदौर में आपका अपना क्या है।
अब ज्यादा देर नहीं होना चाहिए और एक सप्ताह में सभी जैन बंधुओं की बैठक बुला कर एक संकुल के निर्माण की दिशा तय हो जाना चाहिए। मैं जीवन की अंतिम सांस तक जैन समाज की एकता के लिए काम करूंगी और मेरे खून की अंतिम बूंद रहने तक इस संकल्प को पूरा करूंगी। युद्ध में वह नहीं जीतता है, जो खून ज्यादा बहाता है बल्कि वह जीतता है जो योजना बना कर उस पर अमल करने में ज्यादा पसीना बहाता है।
साध्वीजी ने उपस्थित जैन समागम को धर्म श्रद्धा के साथ कोई समझौता नहीं करने, सधार्मिक जैन बंधुओं का हर संभव सहयोग करने, मरने से पहले पांच नए जैन बनाने और समाज से लेकर कारोबार तक में जैन बंधुओं की मदद करने जैसे संकल्प भी दिलाये।
उन्होने राजनीति में भी जैन समाज का प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अभी से काम शुरू कर देने का आव्हान भी किया। उन्होने कहा कि संगठन शक्ति अणुशक्ति से भी बड़ी होती है। अंत में डॉ. प्रकाश बांगानी ने आभार माना। साध्वी श्रीजी के नियमित प्रवचन रेसकोर्स रोड़ स्थित आराधना भवन पर प्रातः 9.15 बजे से होंगे। अगला शिविर रविवार 12 अगस्त को ‘ शिक्षा, संस्कार और सदाचार‘ विषय पर प्रातः 9.30 बजे से बास्केटबाल काम्पलेक्स पर होगा।