गठिया के इलाज में अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा इंदौर का नाम

 -विदेश से आएं डॉक्टर्स यहाँ रहकर समझ रहे हैं इलाज की नई पद्धतियां

इंदौर। एक समय था जब ना तो लोग गठिया रोग को समझते थे, ना ही शहर में इसका उचित इलाज करने के लिए विशेषज्ञ मौजूद थे परंतु अब समय बदल चूका है। इंदौर में गठिया के विशेषज्ञ चिकित्सक अंतराष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा पद्धतियों के जरिए गठिया के नए और पुराने रोगियों को दोबारा सामान्य जीवन जीने में मदद कर रहे हैं। यही कारण है कि अब दूसरे देशों से भी चिकित्सक इंदौर आकर गठिया के इलाज से जुडी बारीकियां और इलाज की नई तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं।

शनिवार को ऑर्थराइटिस और बोन केयर सोसाइटी द्वारा आयोजित निशुल्क गठिया रोग जागरूकता शिविर में कम्बोडिया से आए दो चिकित्सकों ने भी भाग लिया। रूमेटोलॉजिस्ट डॉ अक्षत पांडे ने बताया यहाँ आने का उनका उद्देश्य गठिया के रोगियों और चिकित्सकों से बात करके इस रोग के प्रकार, प्रभाव और परिणामों को समझकर इसके उपचार के नए साधनों के बारे में जानना था।

कम्बोडिया से आए डॉक्टर रविमोनोड्डोम डोयूर ने कहा कि हमारे देश में गठिया की सिर्फ दो प्रकार की ही दवाई है जबकि यहाँ पांच या छह अलग – अलग दवाइयों के कॉम्बिनेशन के जरिए रोगियों को बेहतर और तेज़ इलाज दिया जा रहा है। इसी तरह हमारे देश में अभी भी गठिया के बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट के बारे में ज्ञान नहीं है। यहाँ इन तरीकों से गंभीर गठिया के मामलों में भी आश्चर्जनक परिणाम देखे जा सकते हैं।

हालांकि गठिया के जितने गंभीर मामले हमने यहाँ देखे उतने हमारे देश में नहीं पाए जाते, इसके पीछे कारण भारत की जनसँख्या है। बड़ी जनसँख्या तक सही इलाज सही समय पर पहुंचना एक बड़ी चुनौती है। हम यहाँ से अपने देश लौटने के बाद इन सभी जकरियों और नविन तकनीक का उपयोग करके अपने देश के मरीजों को बेहतर उपचार देने का प्रयास करेंगे।

हर व्यक्ति में अलग होते हैं गठिया के लक्षण

रूमेटोलॉजिस्ट डॉ.पांडे ने यहाँ इंफ्लेमेशन और इन्फेक्शन में अंतर बताया कि शरीर में जिस जगह पर इन्फेक्शन होता है वहां इंफ्लेमेशन जरूर होगा। इंफ्लेमेशन में प्रभावित स्थान पर जकड़न, सूजन , लालिमा के साथ गर्माहट महसूस होती है। डॉ पांडे कहा कि 100 से ज्यादा प्रकार के गठिया होते हैं इसलिए हर किसी में गठिया के लक्षण भी अलग अलग होते हैं। ऐसे में अचानक वजन कम होना,साँस लेने में तकलीफ होना, किसी तरह की गठन, डिप्रेशन, पेशाब में जलन या किसी प्रकार के घाव में से अत्यधिक रक्तस्त्राव होने पर एक बार गठिया के चिकित्सक से परामर्श जरूर लेना चाहिए। डॉ पांडे ने सामान्य तौर पर होने वाले गठिया जैसे एन्कोलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस और ऑस्टियो आर्थोराइसिस आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

गठिया है तो दालें और खटाई बंद न करें

रूमेटोलॉजिस्ट डॉ पारुल बल्दी ने डब्लूएचओ की रिपोर्ट के आधार पर बताया कि दर्द से पीड़ित हर 6 में से एक व्यक्ति को गठिया होता है और हमारे देश की कुल जनसँख्या में से 30 प्रतिशत लोग दर्द से जूझ रहे हैं। इससे हमें इस रोग की गंभीरता और व्यापकता का अंदाजा लगता है। हाथ-पैरों के छोटे -छोटे जोड़ों में दर्द, सुबह उठाने के आधे घंटे बाद तक जकड़न रहना, गठिया के प्राथमिक लक्षण है।

गठिया को लेकर एक सामान्य भ्रान्ति यह है कि गठिया बुजुर्गों की बीमारी है जबकि यह 3 साल की उम्र से लेकर वयोवृद्धों तक किसी को भी, किसी भी उम्र में हो सकता है। एक अन्य भ्रान्ति है कि गठिया यूरिक एसिड के बढ़ने से होता है। हमारे पास कई लोग आते हैं, जो कहते हैं कि गठिया के कारण उन्होंने दालें और खटाई खाना छोड़ दिया है। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि गठिया में निम्बू और संतरे जैसे खट्टे खाद्य पदार्थो से मिलने वाला विटामिन सी तथा दालों से मिलने वाला प्रोटीन बेहद लाभदायक है इसलिए इन्हे खाना नहीं।    

सही समय पर सही इलाज ने बदल दी ज़िन्दगी

दीपा शर्मा 27 सालों से गठिया से पीड़ित थी पर गांव में इसके सही इलाज की जानकारी ना होने के कारण वे आयुर्वेदिक दवाइयां ले रही थी। अपनी स्थिति के बारे में वे कहती है कि गठिया के लिए दी जाने वाली आयुर्वेदिक दवाइयां कुछ समय तक तो अपना असर दिखती है पर उसके बाद हमें इसके नुकसान पता लगने लगते हैं। लगातार कई सालों तक ये दवाइयां लेने के कारण मेरे हाथ विकृत हो गए।

जब ये दवाइयां लेना बंद की तो हालत ऐसी हो गई कि मुझे देखकर मेरे माता-पिता तक ईश्वर से प्रार्थना करने लगे कि इस तरह कष्ट में रखने के बजाए भगवान मुझे उठा लें। इतनी ख़राब स्थिति होने के बाद एक दिन शहर से आए एक जानकर ने बताया कि इस बीमारी का शहर में अच्छा इलाज संभव है।

फिर हम इंदौर आए और मेरी हालत देखकर यहाँ डॉक्टर्स ने मुझे सीधे बायोलॉजिकल इलाज दिया, जिसे लेकर मैं अब इतनी ठीक हो गई हूँ कि आपके सामने खड़ी होकर आपको इस बीमारी से लड़ने का हौसला दे पा रही हूँ। आप जितना सकारात्मक सोचेंगे, यह बीमारी उतनी ही जल्दी ठीक होगी इसलिए हिम्मत मत हारिए।

दीपा की ही तरह गठिया से पीड़ित विजेंदर शर्मा ने मंच पर आकर कहा कि मैं 2008 से गठिया से जूझ रहा था। तब शहर में भी इसका सही इलाज नहीं आया था इसलिए मैंने गांव का रुख किया और गठिया के इलाज के लिए आयुर्वेदिक पूड़ियाँ खाने लगा पर इसमें असंतुलित मात्रा में मौजूद स्टेरॉयड के कारण मुझे इनसे साइड इफेक्ट होने लगा। 2012 में इन्हे बंद किया तो चलना भी दुश्वार हो गया। पिछले साल मुझे गठिया के विशेषज्ञों के बारे में जानकारी मिली। मैंने तुरंत उन्हें दिखाया और उन्होंने मेरा बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट शुरू कर दिया। आज मैं फिर से अपना सामान्य जीवन जी पा रहा हूँ।

ऋषभ बैरागी ने बताया कि 2 साल पहले चिकनगुनिया के बाद उनके गठिया की शुरुआत हुई और वे चलने में भी असमर्थ हो गए। दवाइयां लेने के बाद अब वे न सिर्फ खुद चलने में समर्थ है बल्कि दूसरों को भी दवाई के साथ उचित खानपान और कसरत के साथ गठिया से लड़ने की प्रेरणा दे रहे हैं। 

गठिया के सामान्य लक्षण

- जोड़ों में दर्द और सूजन

– जकड़न

- जोड़ों को घुमाने में कठिनाई

– प्रभावित स्थान पर लालिमा और गर्माहट

– कमजोरी

– थकावट

– सुबह उठने पर आधे घंटे तक अकड़न

– हड्डी में बुखार रहना

– जोड़ों में टेढ़ापन आना

 गठिया से जुडी भ्रांतियां

– यह बुजुर्गों को होने वाली बीमारी है।

– यह यूरिक एसिड बढ़ने से होती है।

– इसका कोई इलाज नहीं है।

– दाल व खट्टे फल नही खा सकते।

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