हमें खुद को समय देना है जरूरी, इसमें मदद करता है मेडिटेशन

इंदौर आए विश्व के सबसे युवा रेकी हीलर आयुष गुप्ता

21 वर्षीय आयुष को अमिताभ बच्चन के हाथों युवा रेकी हीलर का मिल चुका है सम्मान

इंदौर, 22 मार्च 2024। टेक्‍नोलॉजी में प्रगति के साथ आगे बढ़ने की ललक के साथ लोगों के जीवन में तनाव और चिंता भी बढ़ी है। ऐसे में आज के समय में हमें खुद को समय देना बेहद जरूरी हो गया है और हम खुद को समय मेडिटेशन से ही दे सकते है। जो न केवल हमें तनाव और चिंता से दूर करेगा, बल्कि हमें खुद से भी जोड़े रखेगा। इसके लिए रोज खुद के लिए 7 मिनट काफी होंगे, जिसमें हम मेडिटेशन करेंगे। लगातार 21 दिन खुद के लिए यह 7 मिनट निकालें और फिर आप अपने आप में एक बड़ा परिवर्तन महसूस करेंगे।

यह बात देश के सबसे कम उम्र के रेकी हीलर और सबसे युवा टैरो कार्ड रीडर आयुष गुप्ता ने कही। वे शुक्रवार को सेज यूनिवर्सिटी में मेडिटेशन का एक सेशन लेते हुए छात्रों से रूबरू रहे थे। उन्होंने छात्रों को मेडिटेशन और रेकी हीलिंग के फायदे बताए और साथ ही उन्हें मेडिटेशन करने के सही तरीके की जानकारी भी दी। इस दौरान कई छात्रों ने मेडिटेशन से जुड़े सवाल भी उनसे किए। आयुष ने बताया कि मेडिटेशन के दौरान एकाग्र होने के साथ ही हमारा सही तरीके से बैठना और सही तरीके से सांस लेना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। आयुष के अनुसार हमें जीने के लिए साल नहीं सांसें मिलती है, इसीलिए हमारा सही सांस लेना बहुत मायने रखता है, लेकिन एक आंकड़ा बताता है कि दुनिया में आज भी 50 से 60 फ़ीसदी लोग ऐसे है, जो सही तरीके से सांस नहीं लेते। सांस लेने का सही तरीका है कि हम सांस लेते हुए नाक से सांस लें और इस दौरान हमारा पेट बाहर की ओर निकालना चाहिए। वहीं, सांस छोड़ते समय सांस मुंह से छोड़ना चाहिए और इस दौरान हमारा पेट अंदर की ओर होना चाहिए।

मेडिटेशन हर धर्म में… बस तरीके अलग :

आयुष बताते हैं कि मेडिटेशन हमारे जीवन में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। बशर्तें हम रेगुलर मेडिटेशन करें। लगातार 21 दिन 7 मिनट देने के बाद हम इसे रेगुलर करने लगते है, क्योंकि तब हम इसे पूरे दिल से करने लगते है। आयुष आगे ये भी बताते हैं को कई लोग मेडिटेशन को लेकर स्पष्ट नहीं होते। कई कहते हैं कि उन्हें इस दौरान कई ख्याल आते है। कई कहते हैं कि वो इतना बैठ नहीं पाएंगे, तो कई इसे रिलिजियस तौर पर जोड़ लेते हैं, लेकिन मेडिटेशन हर धर्म में होता है। बस तरीके कुछ अलग हो सकते है। वहीं, इसे लगातार समय देने पर हम इसमें एकाग्र होना भी शुरू हो जाते हैं।

पापा से सीखा रेकी करना :

आयुष बताते हैं, मैं सात-आठ साल की उम्र से पापा को ध्यान, साधना करते देखा करता था। उन्होंने ही मुझे मेडिटेशन करना सिखाया। 12 साल की उम्र में पापा ने मुझे रेकी के बारे में बताया। इसके बाद बकायदा रेकी सीखी। वे बताते हैं, मेरी मां को गले में कुछ तकलीफ हुई थी। उनका इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टर विश्वास से नहीं कह पा रहे थे कि वह ठीक हो पाएंगी या नहीं। इसके बाद तीन से चार महीने मैंने उनकी हीलिंग की। उन्हें दोबारा चेकअप के लिए ले जाया गया, तो जांच के बाद उनके गले की समस्या बिल्कुल ठीक हो चुकी थी। इससे मेरा विश्वास बढ़ा और वहीं से एक नई यात्रा शुरू हुई। फिर टैरो कार्ड रीडिंग भी सीखी। आयुष बताते हैं कि वे पहले खुद पर ही चीजों को आजमाते हैं। जब विश्वास हो जाता है, तो उससे अन्य लोगों का उपचार या मदद करते हैं। कोरोना काल में कई की हीलिंग कर उपचार कर चुके है। आयुष के अनुसार, यह किसी भी समस्या का इलाज कर सकता है। स्वास्थ्य से लेकर करियर तक, पर्सनल लाइफ के मुद्दों को रेकी से ठीक किया जा सकता है।

आयुष गुप्ता के बारे में :

आयुष मूल रूप से मध्यप्रदेश रहने वाले हैं और अब मुंबई में रह रहे है। आयुष देश के सबसे कम उम्र के रेकी हीलर हैं। इनके नाम सबसे युवा टैरो कार्ड रीडर का खिताब भी है। रेमो डिसूजा, शंकर महादेवन, रवि दूबे,बलराज सयाल, भारती सिंह जैसे अनेक सेलिब्रेटी इनके पास परामर्श के लिए आते रहते हैं। 17 वर्षीय आयुष को अमिताभ बच्चन के हाथों युवा रेकी हीलर का सम्मान भी मिला है। इसके अलावा कई सम्मान भी इनके खाते में दर्ज है।

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