मध्य प्रदेश ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कॉन्क्लेव’ का किया आयोजन

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भोपाल. मप्र औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (एम.पी.आई.डी.सी) ने सी.आई.आई. के सहयोग सेकुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ई.ओ.डी.बी.) पर एक दिवसीय कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया।

श्री संजय कुमार शुक्ला, प्रमुख सचिव, औद्योगिक नीति और निवेश संवर्धन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार ने अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य उद्योगों और संबंधित विभागों को बातचीत करने और प्रक्रियाओं के सरलीकरण के लिए आगे बढ़ने की योजना बनाने के लिए एक मंच प्रदान करना है। इस अवसर पर बोलते हुए, एम.पी.आई.डी.सी. के मैंनेजिंग डायरेक्टर डॉ. नवनीत मोहन कोठारी ने सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया और मध्य प्रदेश और देश में औद्योगिक के विकास के बारे में बताया।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ई.ओ.डी.बी.) की पहल के कार्यान्वयन में मध्य प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में से एक रहा है। राज्य ने नए सुधार किए हैं जैसे उद्योगों को तीन साल की अवधि के लिए अनुमोदन और निरीक्षण से छूट, 30 दिनों में अपना व्यवसाय शुरू करना, विभिन्न अधिनियमों और नियमों के तहत दंडात्मक प्रावधानों को अपराध से मुक्त करना आदि। राज्य ने भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों जैसे बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान, अनुपालन बोझ को कम करना, नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम पर ऑन-बोर्डिंग आदि के कार्यान्वयन में भी अग्रणी भूमिका निभाई है ई.ओ.डी.बी. मापदंडों पर लगातार शीर्ष प्रदर्शन करने वालें राज्यों में शामिल रहा है।

कॉन्क्लेव में व्यापारिक माहौल में सुधार और निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई पहलों का प्रदर्शन किया गया। कॉन्क्लेव ने इंटरैक्टिव सत्रों की मेजबानी भी रही जिसमें उद्योग के प्रतिनिधि विभिन्न सरकारी विभागों जैसे नीति आयोग और उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी), भारत सरकार, पंचायत और ग्रामीण विकास, शहरी विकास और राज्य विभागों के साथ सीधे जुडे‌ । आवास, ऊर्जा, औद्योगिक नीति और निवेश संवर्धन विभाग, वाणिज्यिक कर, राजस्व, श्रम, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एमएसएमई को खाद्य और नागरिक आपूर्ति और अन्य प्रमुख विभाग उद्योगों के कामकाज के लिए प्रदेश में महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करते हैं और कॉन्क्लेव में इनकी उपस्थिति निवेश आकर्षित करने के लिये गतिमान रही । कॉन्क्लेव में प्रत्येक विभाग के लिए ‘ईओडीबी क्लिनिक’ स्टॉल और समर्पित कोने भी शामिल रहे जहां उद्योगो के मार्गदर्शन और समस्या व समाधान पर चर्चा रही। इसके अलावा, कॉन्क्लेव ने उद्योगों के दिग्गजों और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी के साथ ज्ञान साझा करने और सर्वोत्तम अभ्यास के प्रसार के लिए एक मंच प्रदान भी किया।

इस अवसर पर सी आई आई मध्य प्रदेश के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया और कई डिपार्टमेंटल सेशंस में इंडस्ट्री के द्रष्टिकोण से अपने विचार व्यक्त करे। इनमे स्टेट वाईस-चेयरमैन श्री आशीष वैश्य और मालवा ज़ोन के वाईस चेयरमैन अक्षत चोरडिआ भी थे। श्री सिद्धर्थ अग्रवाल, सी आई आई भोपाल जोन चेयरमैन जोकि सागर ग्रुप के प्रबंध निदेशक भी हैं, उन्होंने वाणिज्यिक कर एवं उत्पाद शुल्क विभाग, एम.एस.एम.ई. एवं उद्योग आयुक्त, म. प्र. सरकार और उद्योगिक निति एवम निवेश संवर्धन विभाग के अधिकारियों के साथ ई. औ. डी. बी. पे कई सवाल करे जिसपे मंथन करने पर अधिकारीयों ने ये आश्वस्त किया की मध्य प्रदेश सर्कार तक उद्योंगों की तरफ से उठाए गए बिंदुओं को पोहोचाएँगे।

सरकारी विभागों से सम्मिलित अधिकारियों में श्री रूपेश सिंह, वरिष्ठ विशेषज्ञ, नीति आयोग; श्रीमती दीपाली रस्तोगी, प्रमुख सचिव, वाणिज्यिक कर एवं उत्पाद शुल्क विभाग, म. प्र. सरकार; श्री पी नरहरि, सचिव, एम.एस.एम.ई. एवं उद्योग आयुक्त, म. प्र. सरकार; श्री सचिन सिन्हा, प्रमुख सचिव, श्रम विभाग, मध्य प्रदेश सरकार; श्रीमती माया अवस्थी, संयुक्त नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, मध्य प्रदेश सरकार; श्री रघुराज एम. राजेंद्रन, मैंनेजिंग डायरेक्टर, म.प्र. पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड और सचिव, ऊर्जा विभाग, म. प्र. सरकार; श्रीमती सुप्रिया देवस्थली निदेशक, डी.पी.आई.आई.टी., भारत सरकार; श्री के.वी एस. चौधरी, उप सचिव, शहरी विकास एवं आवास, म.प्र. सरकार; श्री चंद्र मोहन ठाकुर, सदस्य सचिव, म. प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड; श्री अनुराग श्रीवास्तव , पूर्व अध्यक्ष, भारतीय उद्योग परिसंघ; सी.आई.आई. भोपाल जोन के चेयरमैंन और सागर ग्रुप के मैंनेजिंग डायरेक्टर श्री सिद्धार्थ अग्रवाल ने प्रतिभागियों को नीति और उद्योग अपडेट पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। सम्मेलन में उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों से 500 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई।

कॉन्क्लेव ने व्यवसायों को ई.ओ.डी.बी. परिदृश्य में सुधार के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर की गई पहलों के बारे में जानकारी देने में काफी मदद की और मध्य प्रदेश में कारोबारी माहौल को और सुव्यवस्थित करने के लिए उद्योगों से प्रतिक्रिया और सुझावों का अवसर भी प्रदान किया।

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