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प्राण बचाने का रामबाण है “प्राकृतिक चिकित्सा”
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“एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी हॉस्पिटल” के दो दिनी प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का समापन
इंदौर। पंचतत्वों से बने इस शरीर का प्रकृति से जुड़ाव जितना गहरा होगा, हम उतना ही स्वस्थ, प्रसन्नचित्त और आनंदमय जीवन जी सकेंगे। उच्च तकनीकी के इस दौर में “प्राकृतिक चिकित्सा” लोगों के प्राण बचाने का अचूक रामबाण बनती जा रही है। ये बात सांसद शंकर लालवानी ने “एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी हॉस्पिटल” द्वारा आयोजित दो दिनी प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का उद्घाटन करते हुए कही।
इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने कही। इस मौके पर डॉ. कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के मानसिक रोग चिकित्सक डॉ. वैभव चतुर्वेदी समेच चुनिंदा चिकित्सकों को उनकी विशिष्ट सेवाओं और उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया गया।
श्री लालवानी ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने जटिल से जटिल बीमारी का इलाज प्रकृति में ही तलाश लिया था। इसीलिये वो शतायु और दीर्घायु जीवन जीते थे। बिडंबना है कि बाद में एक ऐसा भी दौर आया कि हम अपने ही पूर्वजों के वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर किये गये प्राकृतिक उपायों से दूर हो गये लेकिन अच्छी बात ये है कि डॉ. ए.के. द्विवेदी जी जैसे आधुनिक चिकित्सकों के प्रयासों से न केवल प्राकृतिक चिकित्सा को नई संजीवनी मिली है बल्कि इसके प्रयोग से अनेकानेक लोगों को स्वस्थ जीवन की सौगात भी मिल रही है। हम भी अगर वास्तव में सुख-शांति युक्त और तनाव, अवसाद तथा अन्य रोगों से मुक्त जीवन चाहते हैं तो हमें आज नहीं तो कल नेचुरोपैथी को अपनाना ही होगा।
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हमारा भविष्य है प्राकृतिक चिकित्सा
दो दिनी आयोजन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए संभागायुक्त मालसिंह ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा हमारा भविष्य है। आने वाले समय में ये दिनोंदिन और लोकप्रिय होती जायेगी। इससे हमारे रहन-सहन, खानपान और दिनचर्या में भी उल्लेखनीय सुधार होगा। इसका कोई साइड-इफेक्ट नहीं है, इसलिए लोगों के भले के लिए इस थेरेपी का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना जरूरी है। इस सत्र की विशिष्ट अतिथि डॉ. अंतरबाला सिंह ने कहा कि महिलाएं प्राकृतिक चिकित्सा को सबसे ज्यादा फॉलो करती हैं।
स्नायु दुर्बलता दूर करने में कारगर प्राकृतिक चिकित्सा
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. द्विवेदी ने कहा कि हम जितना नेचर के करीब होते हैं उतने ही स्वस्थ रहते हैं। वर्तमान दौर में अधिकांश लोग स्नायु दुर्बलता का शिकार हो रहे हैं। इसमें शरीर की नसों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द, सुन्नपन और झुनझुनी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से संतुलित आहार, व्यायाम, मालिश, योग, अरोमाथैरेपी, ध्यान और मिट्टी चिकित्सा आदि के जरिये स्नायु दुर्बलता पर नियंत्रण पाया जा सकता है। अतिथियों का स्वागत राकेश यादव, दीपक उपाध्याय, डॉ. जितेंद्र पूरी और विनय पांडे ने किया। संचालन डॉ. विवेक शर्मा ने किया।