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भोले की भक्ति का महिना सावन इस बार 29 दिनों

इंदौर. भोले की भक्ति का महिना सावन इस बार 29 दिनों का है. चार सोमवार के साथ आयुष्मान योग स्वास्थ्य साधना हेतु खास है. विशिष्ठ पदार्थों से रुद्राभिषेक से मनोकामना पूर्ण होगी और शिवअनन्त कृपा बरसाएंगे.
यह बात भारद्वाज ज्योतिष व आध्यात्मिक शोध संस्थान के शोध निदेशक आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने कही. जानकारी देते हुए आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि भोले की भक्ति का सावन इस वर्ष विशेष ज्योतिषीय संयोग लेकर आ रहा है. फल द्वितीया से प्रारंभ श्रावण माह का श्रीगणेश श्रवण नक्षत्र व आयुष्मान महा योग में हो रहा है.
श्रावण कृष्ण प्रतिपदा व श्रावण शुक्ल नवमी तिथि के क्षय के साथ ही कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि की वृद्धि के चलते भोले की भक्ति का सावन 29 दिनों का है. इस वर्ष का सावन महामृत्युंजय साधना हेतु उत्तम व श्रेष्ठ है. आयुष्मान योग इस सावन को स्वास्थ्य साधना हेतु कुछ विशेष बना रहा है. सावन का आरम्भ 25 जुलाई को हो रहा है वहीं समापन 22 अगस्त रविवार को रक्षाबंधन के साथ होगा. इस वर्ष बाबा के प्रिय चार सोमवार 26 जुलाई, 2 अगस्त, 9 अगस्त व 16 अगस्त को आ रहे है.
श्रावण माह के प्रमुख तीज त्यौहार
आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि श्रावण माह के प्रमुख तीज त्यौहारोंका अपना विशेष महत्व है, इस वर्ष 25 जुलाई को फल द्वितीया से अशून्य शयन व्रत का आरम्भ होगा. 27 को संकष्ट चतुर्थी व्रत,28 को मरुस्थली नाग पंचमी, 4 अगस्त को कामदा एकादशी ,5 को प्रदोष व्रत, 6 को मास शिवरात्रि,8 को हरियाली अमावस्या, 11 को हरियाली तीज,13 को नागपंचमी(देशा चारिय ), 14 को दूर्वा चतुर्थी व्रत,15 को तुलसी जयंती,18 को पवित्रा एकादशी,20 को प्रदोष व्रत व 22अगस्त रविवार को रक्षाबंधन व श्रावणी उपाकर्म प्रमुख है.पूरे माह भोले अपने भक्तों पर कृपा बरसायेंगे.
असाध्य रोगों, महामारी के लिए विशेष
आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि शिवजी की प्रसन्नता प्राप्त करने हेतु रुद्राभिषेक के साथ ही चंदन, अर्कपुष्प, बिल्वपत्र, विजया(भांग ), सुंगंधित पदार्थ, धतूरा, केशर, कपूर, सुखेमेवे का भोग व ऊं नमः शिवाय के जप से भोले की असीम कृपा प्राप्त होती है. आप प्रतिदिन नहीं तो केवल किसी भी सोमवार को विविध पूजा सामग्री चढ़ाकर भोले की भक्ति कर सकते है. सोमवार शिवजी का प्रिय वार है. यह श्रावण असाध्य रोगों, महामारी व सुख, शांति व समृद्धि की प्राप्ति हेतु कुछ विशेष है. आयुष्मान महायोग से प्रारम्भ श्रवण मास में प्रतिदिन महामृत्युंजय जप करने से रोगों से लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के साथ असाध्य रोगों से मुक्ति भी प्राप्त होती है.