परीक्षा के समय स्ट्रेस एक लिमिट तक अच्छा

एग्जाम का प्रेशर कहीं का कहीं स्टूडेंट्स को चिडचिडा बना देता है और कॉन्फिडेंस भी लूज़ करता है ,  इसी के मद्देनज़र“आसान है… !” कार्यक्रम  का आयोजन क्रिएट स्टोरीज द्वारा डीपीईएस स्कूल में किआ गया | दीपक शर्मा ने बताया की इस कार्यक्रम का उद्देश्य था की परीक्षाओं का समय है एवं इस दौरान बच्चे और पेरेंट्स तनाव भरे दौर से गुज़रते है इसलिए इस टेंशन को कैसे हैंडल करे इस बारे में न्यूरो साइकेट्रिस्ट डॉ पवन राठी ने इस बारे में सभी को जानकारी दी और बताया की एक शोध के अनुसार भारत में 10 में 7 बच्चे एवं अब्रॉड में  10 में से 3 बच्चे  कोचिंग जाते  है |  

न्यूरो साइकेट्रिस्ट डॉ पवन राठी बताया की – परीक्षा के समय स्ट्रेस एक लिमिट तक अच्छा है क्यूंकि तभी हम मेहनत करते है एग्जाम के लिए , पर एक लेवल के बाद हमारा परफॉरमेंस खराब हो जाता है अगर स्ट्रेस बढे तो, इसलिए स्ट्रेस बैलेंस होना चाहिए | बहुत ज्यदा स्ट्रेस से हमारी बॉडी पर बहुत बुरा इफ़ेक्ट आता सकता है | जब हम स्ट्रेस्ड होते है तब हमारी बॉडी में  “कोर्टिसोल” रिलीज़ होता है जिससे हम फटाफट रियेक्ट करते है, पर अगर हम हमेशा स्ट्रेस्ड रहेंगे तो हमारी बाकी बॉडी के पार्ट्स में ब्लड फ्लो लिमिटेड होता है और ओवरआल हमारे बॉडी के फंक्शन में प्रॉब्लम आने लगती है | धीरे धीरे ये बढती प्रॉब्लम ही सारी बिमारियों की जड़ होती है |   कैंसर का एक बड़ा कारण ही स्ट्रेस है , जब हम हमेशा स्ट्रेस्ड रहते है तब हमारी बॉडी के फंक्शन बिगड़ जाते है और बॉडी सेल्स को बनाने और डेड सेल्स को हटाना कंट्रोल नहीं कर पाती जिसे हम कैंसर कहते है | स्ट्रेस कई चीजों की लत पैदा करती है जिससे काफी गंभीर बीमारियाँ पैदा होती है |

पेरेंट्स बच्चो को प्यार करिए उन्हें समझिये उनसे दोस्ती करिए यकीं मानिये बच्चों से अच्छा और सच्चा दोस्त आपको कहीं नहीं मिलेगा यही आगे चलके बच्चे को समझ में आयेगा | आज हम बच्चे से प्यार करेंगे तो वही सीख कर वो दुनिया से प्यार करेगा वर्ना आज के बच्चो में गुस्सा और जिद देखने हो मिलता ही है | एग्जाम में जाने से पहले बच्चे हो “हग” करिए , बच्चा रिलैक्स होकर और खुश होकर एग्जाम देने जयेगा एवं उसका कॉन्फिडेंस लेवल और खुद पर भरोसा बना रहेगा एवं उसको कहीं न कहीं ये महसूस होता रहेगा की हाँ मेरे पेरेंट्स है मेरे साथ  | बच्चे को फील कराए की उनके पेरेंट्स उनकी एग्जाम से उन्हें कई ज्यदा प्यार करते है |

पेरेंट्स को समझना चाहिए की परीक्षा उनके बच्चों की साल भर की मेहनत का प्रूफ नहीं है और यही बात उन्हें बच्चों को समझानी होगी | अच्छे मार्क्स का मतलब जॉब और अच्छी ज़िन्दगी नहीं होती  | पेरेंट्स बच्चो को किसी से क्म्पेयर ना करे | बच्चो को बार बार टोकना बंद करे | बच्चो को टोकने की बजाये उनके अच्छे मित्र बन उनकी परेशानी को समझे एवं बच्चो को सपोर्ट करें | एक बात का पेरेंट्स ज़रूर ध्यान दे की हम आज जो  करेंगे वो बच्चे फॉलो करते है जब तक वो 18  साल के नहीं हो जाते वे हर वो गतिविदी करना चाहेंगे जो हम करते है क्यूंकि उनके आइडियल पेरेंट्स है , इसलिए हमे उन्हें सामने एक अच्छा उदहारण खड़ा करना होगा |

यदि बच्चे के नेचर के कुछ बदलाव नज़र आये या कुछ गतिविदी बच्चा ऐसी करे जो वो नहीं करता या वो शांत रहे एवं उसके डेली रूटीन में बदलाव नज़र आये तो हमें समझ जाना चाहिए की बच्चा किसी चीज़ से परेशान है एवं हमे उसे शांतिपूर्वक ढूंड के साल्व करना होगा अन्यथा बच्चा डिप्रेशन में जा सकता है , बच्चे की उदासी को नज़रंदाज़ न कर्रे  |  बचपन का डिप्रेशन  सामान्य से अलग होता है और रोज़मर्रा की भावनाएँ जो बच्चे के विकसित होने पर होती हैं। सिर्फ इसलिए कि एक बच्चा दुखी लगता है जरूरी नहीं कि वह महत्वपूर्ण डिप्रेशन  है। यदि उदासी लगातार बनी रहती है, या सामान्य सामाजिक गतिविधियों, रुचियों, स्कूलवर्क या पारिवारिक जीवन में हस्तक्षेप करती है, तो यह संकेत दे सकता है कि उसे अवसाद की बीमारी है। ध्यान रखें कि डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है |

एक्साम्स के पहले बच्चो के लिए  टिप्स –

·         अपनी पढ़ाई प्लान कर के चलें, अपने कमज़ोर विषय पर ज्यदा काम करें परीक्षा के पहले , क्यूंकि फेल होना ज्यादा बुरा है , दूसरे सब्जेक्ट्स से थोड़े मार्क्स कम आने में  |

·         एग्जाम के पहले इंटरेस्ट के लिए नहीं , एग्जाम के हिसाब से पढ़े |

·         रेवाइस उस तरीके से करें जो साल भर आपके लिए काम करता आया है क्यूंकि हम खुद को सबसे अच्छे से जानते है |

·         अपना स्टडीइंग एनवायरनमेंट में बदलाव न करे क्यूंकि हमें आदत होती है और मन वही लगता है कुछ भी कार्य करने में |

·         6 से 8 घंटो की नींद ज़रूर ले |

·         45 मिनट्स एक सेशन का होना चाहिए फिर 5 मिनट का ब्रेक ऐसे 3 सेशन के बाद 30 मिनट्स का ब्रेक ले |

·         30 मिनट्स के ब्रेक में मूवी ना देखे क्यूंकि हमे आगे देखने की इक्षा होगी और कंसंट्रेशन बिगड़ेगा |

·         30 मिनट्स के ब्रेक में अपने पसंद की थोड़ी फिजिकल एक्टिविटी करे जैसे बैडमिंटन खेले , या हलकी एक्सरसाइज करे , ब्रीथिंग एक्सरसाइज .  आसपास गार्डन में वाक करे जिसमे भी आपको अच्छा लगे |

·         ब्रेक में बैठ कर पेरेंट्स से बातें करे जोक्स क्रैक कर पेरेंट्स के साथ हसें या कुछ तकलीफ आये तो उन्हें बिना डरे शेयर करें |

·         अपने आसपास पॉजिटिव लोगो को की रहने दे या पॉजिटिव लोगो के पास ही जायें |

परीक्षा के समय डाइट-

·         परीक्षा के वक्त ज़रूरी है की बच्चों की हेल्थ अच्छी रहे और उन्हें इन्फेक्शन या किसी प्रकार की बीमारी न हो , इसके लिए ज़रूरी है की बच्चों की डाइट बैलेंस्ड रहे एवं प्रोटीन अच्छे से प्राप्त हो | बढती उमे के लिहाजा ज़रूरी है की बच्चे पूरा खाना खाए जैसे दाल , रोटी , हरी सब्जी , दही , फ्रूट्स , सलाद, चावल |

·         डेरी प्रोडक्ट- बच्चों को एग्जाम टाइम पर डेरी प्रोडक्ट ज़रूर देना चाहिए | डेरी प्रोडक्ट से “सेरोटोनिन हार्मोन” एक्टिव होता है जिससे बच्चो में चिंता कम होती है |

·         एग्जाम टाइम पे बच्चो को गुड अवय्श्य खिलाये गुड से इंस्टेंट एनर्जी मिलती है | एक कहावत है कुछ भी अच्छा या अच्छा काम में जाने के पहले जो दही के साथ गुड दिया जाता है उससे हमारी बॉडी एक्टिव होती है |

·         पानी सही मात्र में पियें  क्यूंकि पानी स्ट्रेस भी कम करता है और बॉडी के टोक्सिंस बहार निकलता है , डिहाइड्रेश हमारा अटेंशन लेवल कम करता है | पानी पीना बच्चे काफी बार भूल जाते है , पानी सही मात्र में पीना चाहिए ,  सबसे सही तरीका पानी की क्वांटिटी का है की हमारी आँखे , स्किन  या लिप्स ड्राई नहीं हो रही इसका मतलब है की हम पानी सही मात्रा  में पी रहे है , लेकिन अगर ड्राईनेस फील हो तो पानी की मात्र बढ़ाएं  |

·         काफी बार बच्चों का मूड अच्छा रखने के लिए एग्जाम के स्ट्रेस के वक्त पेरेंट्स बच्चों को चिप्स , पैक फूड्स , जंक फूड्स आदि बच्चो का मन अच्छा करने के लिए दे देते है परन्तु पेरेंट्स को समझना होगा की इन सब से बच्चो की हेल्थ पे बुरा इफ़ेक्ट पड़ता है क्यूंकि इनमे विटामिन और हेल्थी पोषक तत्व नहीं होता , इनमे ज्यदा फैट और प्रीज़र्वटिव होते है जिससे बच्चे काफी आलस महसूस करते है | पेरेंट्स फ्रेश खाना देकर बच्चों का मूड और हेल्थ अच्छे रख सकते है, हरी सब्जियों का सेवन ज़रूरी है क्यूंकि उनमें एंटीओक्सिदेंट्स होते है जिससे मूड अच्छा रहता है और आलस भी दूर होती है |

·         कैफीन लिमिटेड मात्र में ले जैसे सिर्फ 1 या 2 कप काफी , कार्बोनेटेड ड्रिंक्स  , आदि नशा ना करे क्यूंकि हमे लगता है इससे हमारा कंसंट्रेशन बढ़ता है लेकिन ऐसा नहीं है कई बार ये बहुत ज्यदा नुक्सान दायक हो जाता है |

कार्यक्रम में हेमंत गोयल , चंचन गोयल , रेशमा जुनेजा , दीपक शर्मा  आदि लोग मौजूद थे |

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