12वीं की प्रावीण्य सूची में छाई बेटियां, 10वीं में एक भी विद्यार्थी नहीं

मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल का परिणाम घोषितइंदौर, 15 मई. मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल का 10वीं और 12वीं का रिजल्ट बुधवार को घोषित कर दिया गया.

हाई स्कूल के मुकाबले हायर सेकंडरी का परिणाम बेहतर रहा. दसवीं में तो प्रदेश की टॉप 10 सूची में इंदौर के एक भी विद्यार्थी को जगह नहीं मिली वहीं 12वीं की टॉप-10 प्रावीण्य सूची में शहर की बेटियों ने बाजी मारी. इनमें से चार छात्राओं ने कॉमर्स तो एक ने बायोलॉजी में टॉपर्स लिस्ट में शामिल हुई.

बुधवार को घोषित परिणामों में 10वीं के रिजल्ट में प्रदेश की मेरिट लिस्ट में इंदौर से एक भी विद्यार्थी इस साल अपनी जगह नहीं बना पाया. हालांकि जिले के लिए राहत 12वीं का रिजल्ट लेकर आया। 12वीं में भी मैथ, आर्ट में एक भी छात्र प्रावीण्य सूची में नहीं आया, लेकिन कॉमर्स में इंदौर की चार बेटियों ने मेरिट लिस्ट में अपना परचम लहराकर शहर का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया, वहीं बॉयलॉजी ग्रुप में भी इंदौर की एक बेटी ने प्रावीण्य सूची में नौवां स्थान हासिल किया।

जानकारी के अनुसार 10वीं के नियमित (रेगुलर) परीक्षार्थियों में 63.69 फीसदी छात्राएं जबकि 59.11 फीसदी छात्र उत्तीर्ण हुए हैं, वहीं 12वीं के नियमित परीक्षार्थियों में पूरे प्रदेश में 76.31 फीसदी छात्राएं और 68.94 फीसदी छात्र पास हुए हैं.

प्रदेश की टॉप-10 सूची में शामिल छात्राओं में तीसरे स्थान पर 481 अंकों के साथ मानसी पिता मनोज राठौर रहीं. छठे स्थान पर 478 अंकों के साथ तपस्या पिता सलील ऐरन, नौवें स्थान पर 467 अंकों के साथ शिवानी पिता करण प्रजापति, दसवें स्थान पर 474 अंकों के साथ कशिश पिता राजेंद्र दुबे और किरण पिता दिलीप सिंह परिहार रहीं. रिजल्ट खुलते ही छात्राओं के चेहरे खिल उठे. पांच में से चार टॉपर्स सराफ विद्या निकेतन से हैं. मानसी राठौर बालाजी गणेश मारवाड़ी कन्या उमा विद्यालय ने कामर्स में टॉप किया है.

संभाग में भी छात्राओं ने बाजी मारीहाईस्कूल परीक्षा परिणाम में इंदौर संभाग में छात्राओं ने फिर छात्रों को पीछे छोड़ा। 62721 छात्रों में से 38446 को सफलता हाथ लगी जबकि 59441 छात्राओं में से 40055 पास हुईं. हायर सेकंडरी में 42713 छात्र में से 30663 उत्तीर्ण हुए जबकि 39422 छात्राओं में से 31005 उत्तीर्ण हुईं. इस तरह छात्राओं की सफलता का प्रतिशत हाईस्कूल में 67.39 और हायर सेकेंडरी में 78.65 रहा.

मोबाइल का उपयोग नहीं किया: मानसी

कामर्स में टॉप कर प्रदेश टॉप सूची में तीसरा स्थान पाने वाली मानसी राठौर एक मैकेनिक की बेटी है. मानसी ने बताया कि मैं सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करती थी. पसर्नल नोट्स तैयार किए और परीक्षा के दिनों में उन्हें बार-बार देखा. परिवार ने प्रोत्साहित किया. साल भर पारिवारिक कार्यक्रमो में जाना छोड़ दिया था। अभी तक मोबाईल का उपयोग तक नहीं किया. सोशल मीडिया पर भी कोई एकाउंट नहीं है। साल भर से कोई फिल्म तक नहीं देखी. सिर्फ पढ़ाई पर ही ध्यान दिया. मैं बड़े होकर चार्टेड एकाउंटेंड करना चाहती है. साथ ही बड़ी वकील या जज बनने की भी तैयारी में जुट जाएगी। 

मेरिट में आने का रखा था लक्ष्य: तपस्या

तपस्या ऐरन ने बताया कि दसवीं में भी मैंने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया था. सभी टीचर्स ने सालभर मेरे साथ हार्डवर्क किया. मैंने शुरू से सोच लिया था कि मेरिट लिस्ट में आना है. पढ़ाई को कभी बोझ नहीं समझा। रोजाना औसत रूप से 5 घंटे पढाई करती थी. मैं कोचिंग नहीं जाती थी. सेल्फ स्टडी और टीचर्स के सपोर्ट से यह मुकाम हासिल किया है. मैंने मोबाइल का उपयोग मोटिवेशन वीडियोज,जनरल नॉलेज पढऩे के लिए ही किया. सोशल मीडिया का उपयोग पाजेटिव रूप में किया. अब मैं लॉ में ग्रेजुएशन करके सिविल जज की एग्जाम देना चाहती हूं. 

दिन-रात पढ़ाई पर फोकस: शिवानी

शिवानी प्रजापति ने बताया कि मैंने शुरुआत से ही पढ़ाई पर काफी फोकस किया था. किसी प्रकार का तनाव नहीं लिया. दिन-रात मेरा पढ़ाई में ही बीतता था। सबसे ज्यादा सपोर्ट मम्मी-पापा और सभी टीचर्स का रहा. सुबह मम्मी मेरे साथ ही उठ जाती थी. पापा भी मेरे लिए इंस्पीरेशन है. मैं फ्यूचर में एमबीबीएस कर डॉक्टर बनना चाहती हूं. केमिस्ट्री विषय मेरा सबसे ज्यादा कमजोर था जिसके कारण मैनें उस पर ज्यादा मेहनत की.

पढ़ाई के लिए छोड़ दिया फोन: कशिश

कशिश दुबे ने बताया कि  मेरा हाफ इयरली में रिजल्ट इतना अच्छा नहीं था, लेकिन मेरे टीचर्स ने मुझे हतोत्साहित नहीं होने दिया. उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया. सुबह पांच बजे उठकर पढ़ती थी. हालांकि ये कठिन होता था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. पढ़ाई के दौरान मैंने फोन पूरी तरह छोड़ दिया था। मेरा फोन पिताजी को दे दिया था. नावेल पढऩे का शोक था लेकिन वह भी छोड़ दिया। स्कूल में इतनी अच्छी पढ़ाई हो गई कि कोचिंग की जरूरत ही नहीं पड़ी। बड़ी होकर बैंकिंग क्षेत्र में जाऊंगी.

जैसा सोच था वैसा रिजल्ट मिला: किरण

किरण परिहार ने बताया कि  मैं सुबह 6 बजे उठ जाती थी और देर रात तक पढ़ाई करती थी. इसके साथ ही बीच में एक घंटा म्यूजिक सुनती थी ताकि मेरा माइंड फ्रेश हो जाए. स्कूल प्रिंसिपल और टीचर्स ने मुझे काफी सपोर्ट किया. मैंने जैसा सोचा था वैसा रिजल्ट मिला है. साल भर मोबाईल का उपयोग नहीं किया. मेरी शोक डांस करना है लेकिन पढ़ाई के लिए सालभर से वह भी नहीं किया. नानी के घर मंदसौर में रहती थ.। शुरुआत में हिंदी मीडियम में थी तो मेरे दो साल बिगड़ गए। अंग्रजी मीडियम में आने से जो दो साल बिगड़े उसका दुख है.

सोशल मीडिया से दूर रहा: गोविंद

12वीं की परीक्षा में साइंस स्ट्रीम में जिले में पहला स्थान पाने वाले गोविंद पाटीदार  ने बताया कि मैं रोजाना स्कूल के बाद तीन से चार घंटे पढ़ाई करता था. मेरे पास न तो कोई मोबाइल है और न ही किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता हूं. कि इससे मन भटकता है और मुझे केवल पढ़ाई पर ही ध्यान केंद्रित करना हैं. मैं देश की सेवा करना चाहता हूं और 12वीं के बाद एनडीए में जाना चाहता हूं. हाल ही में हुई एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उनका यह इरादा और पक्का हो गया.  गोविंद के पिता बिजली के कांट्रेक्ट लेते हैं, जबकि मां हाउस वाइफ हैं.

रातभर जागकर करता था पढ़ाई ‘

10वीं कक्षा में जिले में पहला स्थान पाने वाले अभिषेक नायक ने बताया कि मैं रात भर जागकर पढ़ाई करता था. दोपहर में स्कूल से आने के बाद तीन से चार घंटे सो जाता था. इसके पीछे कारण यह है कि रात में शांति रहती है, इसलिए रात में पढ़ता था और कठिन मेहनत के दम पर ही उन्हें यह सफलता मिली है. अभिषेक के पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. सफलता के लिए अभिषेक ने पिछले साल के पेपर हल किए और खुद शॉर्ट नोट्स बनाए. वे 11वीं में पीसीएम लेना चाहते हैं. अभिषेक का सपना आईआईटी में जाने का है.

हाईस्कूल में जिले की टाप सूची

अभिषेक नायक (484 अंक) शिवा एकेडमी उमा विद्यालय, मोईनु²ीन खान (483 अंक) शासकीय सुभाष उमा विद्यालय, अशी खंडेलवाल (483 अंक) अल्पाईन पब्लिक स्कूल, सौरभ तिवारी (482 अंक) श्री गरिमा विद्या मंदिर, साक्शी ठाकुर (482 अंक) पिंक फ्लावर स्कूल, राजा कुश्वाह (482 अंक) शासकीय बाल विनय मंदिर, नेहल काले – 482 अंक – अल्पाईन पब्लिक स्कूल.

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