बनेगा हाईटेक कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर

इंदौर. जिले में हाईटेक कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर से जिले के कोरोना संक्रमित मरीजों की निगरानी होगी। इस संबंध में कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने बैठक आयोजित कर विस्तृत दिशा-निर्देश दिए। इंदौर जिले में ‘कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर’ स्थापित किया जा रहा है, जो कि 24×7 संचालित रहेगा। इसके लिए आवश्यक चिकित्सक एवं स्टाफ की पृथक-पृथक ड्यूटी लगाई जाएगी।

‘कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर’ हेतु राज्य स्तर पर एकल (कॉमन नं.) 1075 होगा। नागरिकों द्वारा जिले का STD Code 0731 डायल करने पर कॉल जिला स्तरीय ‘कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर” पर कनेक्ट होगा। इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को उनके जिले में संचालित फीवर क्लीनिक एवं सेम्पल संग्रहण की जानकारी ऑन डिमांड उपलब्ध कराना है, साथ ही साथ CCC, DCHC, DCH की जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी।

सर्वाधिक मुख्य उद्देश्य होम आईसोलेशन कोविड मरीजों के लिए एक केन्द्र के रुप में कार्य करना है। होम आईसोलेशन में रखे गए कोविड पॉजिटिव मरीजों को तैनात किए गए चिकित्सक दिए गए नंबरों पर विडियो कॉल करेंगे तथा उनकी चिकित्सीय स्थिति अद्ययतन जानकारी प्राप्त करेंगे। कोविड पॉजिटिव मरीज जो कि होम आईसोलेशन में हैं, अपने मोबाइल पर सार्थक लाइट एप डाउनलोड किए जाने के उपरांत चिकित्सकीय सूचकांकों की जानकारी, पल्स ऑक्सीमीटर तथा थर्मामीटर से लेकर अद्ययतन कर सकेंगे। इस सेंटर पर एम्बुलेंस भी रहेगी, जिसकी आवश्यकता होने पर तत्काल मरीज को अस्पताल में भेजा जा सकेगा।

साथ जिले में संचालित फीवर क्लीनिक में सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं में पीड़ित मरीज को RTPCR तथा RRT के माध्यम से जॉच की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। कोई भी व्यक्ति लक्षण होने पर तुरंत फीवर क्लीनिक पर जॉच कराए।

उल्लेखनीय है कि कलेक्टर श्री मनीष सिंह के नेतृत्व में इंदौर में होम आईसोलेशन में कोविड पॉजिटिव पेशेंट को कंट्रोल रुम से पहले ही इस तरह की सुविधाएं मिल रही हैं। अभी तक 4274 मरीजों को जो होम आईसोलेशन में थे, 3531 डिस्वार्ज हो चुके हैं, 624 एक्टीव मरीजों की अभी भी मॉनिटरिंग की जा रही है।

मरीजों को पल्स ऑक्सीमीटर एवं थर्मामीटर प्रदान किए गए हैं। कॉल सेंटर से विडियो कॉलिंग करके इनकी सूचना ली जाती है तथा स्थिति गंभीर होने पर कंट्रोल रुम पर उपलब्ध एंबुलेंस से मरीज को अस्पताल भेजा जाता है । अभी तक होम आईसोलेशन में मृत्युदर शून्य है, घरेलू माहौल में इलाज होने पर मनोवैज्ञानिक समस्याएं कम होती है और सुधार की गति तींव्र होती है। इंदौर के इस नवाचार की पहले ही राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सराहना की जा चुकी है।

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