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विश्व में बढ़ रही सनातन की स्वीकार्यता, तेजी से लोकप्रिय हो रही हमारी संस्कृति
लेखक डॉ. ए.के. द्विवेदी के यात्रा-वृत्तांत “*सनातनी संस्कृति से सुरभित बाली की फुलवारी” का विमोचन
ग्वालियर। “वसुधैव कुटुम्बकम्” का उद्घोष करने वाली महान सनातनी संस्कृति संपूर्ण वसुधा के जन-जन को अपने परिवार का सदस्य समझती है। “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” सिद्धान्त इसका मूल-प्राण है। इसीलिए “सर्वे भवन्तु सुखिनः” सूत्र में अटूट विश्वास रखने वाली यह संस्कृति विश्व के अनेक देशों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है और जन-जन में सनातन धर्म के प्रति आस्था और स्वीकार्यता बढ़ रही है।
ये बात शुक्रवार शाम ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय स्थित दत्तोपंत ठेंगडी सभागार में “वन नेशन वन अर्थ” थीम पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला ने पुस्तक (यात्रा-वृत्तांत) “*सनातनी संस्कृति से सुरभित बाली की फुलवारी” का विमोचन करते हुए कही।
केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य तथा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर के कार्यपरिषद सदस्य एवं देश के सुप्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी द्वारा लिखित उक्त यात्रा-वृत्तांत के बारे में प्रो. शुक्ला ने कहा कि इससे न केवल विदेशों और खासतौर पर इस्लामिक देशों में फल-फूल रही सनातन संस्कृति के बारे में लोगों को पता चलेगा बल्कि उन्हें इस सच्चाई का भी एहसास होगा कि मात्र पूजा पद्धति बदल लेने से हमारे पुरखे और उनकी साझा विरासत नहीं बदली जा सकती है।
कइयों को आईना दिखायेगी पुस्तक
पुस्तक के लेखक डॉ. ए.के. द्विवेदी ने कहा कि हिंदी भाषा में सनातन धर्म के सिद्धान्तों से सुरभित बाली (इंडोनेशिया) पर बहुत ज्यादा साहित्य नहीं मिलता है। इसीलिए मैंने अपने और परिवार के सदस्यों (पत्नी सरोज और पुत्र अथर्व) के अनुभवों को पुस्तक के रूप में प्रस्तुत कर उनका दस्तावेजीकरण करने का प्रयास किया। जिसे मूर्तरूप प्रदान करने में पुस्तक के संपादक श्री अनिल त्रिवेदी जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये पुस्तक ऐसे समय पर आई है, जब क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के लिए कुछ राजनीतिक दलों के नेता सनातन धर्म के बारे में अनर्गल चर्चायें कर रहे हैं। उम्मीद है कि ये पुस्तक उन्हें आईना दिखाएगी और सद्बुद्धि भी प्रदान कर ऐसे लोगों को मार्ग पर लायेगी। गरिमामय कार्यक्रम में डॉ वाय पी सिंह, डॉ एके सिंह, श्री मोहिनी मोहन मिश्रा एवं डॉ मृदुला बिल्लौरे सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित थे। उक्त अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस में डॉ एके द्विवेदी ने अप्लास्टिक एनीमिया का होम्योपैथी इलाज पर अपना व्याख्यान भी दिया जिसमें आपने चार मरीज़ों का ज़िक्र भी किया जो होम्योपैथी इलाज से आज पूरी तरह स्वस्थ हैं