समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए कानून आवश्यक: जकारिया
प्रेस्टीज ला कॉलेज में तीन- दिवसीय नेशनल मूट कोर्ट कॉम्पिटिशन शुरू
इंदौर. कानून समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है l समाज में जब से मनुष्य ने एक साथ रहना शुरू किया तबसे ही किसी ना किसी रूप में कानून की नींव पड़ गई थी l कानुल के छात्र ना केवल अपनी जिरह से किसी केस को जीतने की कोशिश करते हैं बल्कि अपनी जिरह और तर्को से समाज के सामने ऐसे तर्क और दायरे रखते हैं जिन पर समाज की नीव खड़ी होती है और जो आपसी संबंधों के लिए एक मानदंड बनते हैं l
यह बात मलेशिया सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरिफिन बिन ज़कारिया ने शुक्रवार को प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के डिपार्टमेंट ऑफ लॉ में तीन दिवसीय डॉ. एन एन जैन नेशनल मूट कोर्ट कॉम्पिटिशन के उद्घाटन समारोह में कही.
कम्पटीशन में भाग ले रहे देश भर से आए 40 से ज़्यादा प्रतिष्ठित लॉ संस्थानों के छात्रों को संबोधित करते हुए ज़कारिया ने कहा कि मूट कोर्ट छात्र\छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान देते हैं l इससे जमीनी स्तर पर कोर्ट के दाव पेंच समझने में आसानी मिलती है..मूट कोर्ट अभ्यास में वास्तविक तर्क देने का अनुभव होता है तथा इसके अभ्यास के द्वारा छात्रों में कानूनी कौशल, अदालत शिल्प, व्यावसायिक नैतिकता और वकालत करने के लिए दृष्टिकोण विकसित होता है.
उन्होंने कहा कि मूट कोर्ट प्रतियोगिता में छात्रों को एक काल्पनिक घटनाक्रम बताया जाता है, जिसको वास्तविक मानकर छात्रों को उस पर शोध कर अपने नतीजे दूसरे पक्ष के सामने उसी तरह प्रस्तुत करने होते हैं जिस तरह एक वास्तविक न्यायलय में बहस होती है l
कानून समाज में बदलाव का जरिया: मोहन पेरिस
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्रीलंका सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मोहन पेरिस ने कहा कि समाज में आज बदलाव जरूरी है और लॉ के छात्रों की बदलाव मे बड़ी भूमिका रहती है . कानून मात्र पैसे कमाने का माध्यम नही है बल्कि समाज में बदलाव का बड़ा जरिया भी है . एक अच्छे वकील का काम केवल कोर्ट की कागजी कार्यवाही तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि उनमें मानवता का भावना होना उतना ही जरूरी है.
उन्होंने कहा कि लोगों को उनके मानव अधिकार के बारे में पता होना जरूरी है\.कानून की ज़िंदगी मात्र एक तर्क नही बल्कि एक सामाजिक कार्य भी है.\इस तरह के मूट कॉम्पिटिशन का उद्देश्य हमेशा केवल जीतना ही होनीं चाहिए बल्कि कुछ सीखकर जाना भी उतना ही जरूरी है\उन्होंने कहा कि\प्रेस्टीज लॉ कॉलेज द्वारा आयोजित यह राष्ट्रिय मूट कोर्ट कम्पटीशन एक बहुत अच्छा मौका है पूरे भारत के स्टूडेंट्स से मिलने जुलने का। कौटिल्य अकादमी के सी ई ओ डॉ.मनमोहन जोशी ने कहा कि जुनून और मेहनत से हर सफ़लता पाई जा सकती है l
छात्र अपने ज्ञान को व्यव्हाहिरक बनाएं: डॉ. डेविश जैन
प्रेस्टीज एजुकेशन सोसाइटी के वाइस चेयरमैन डॉ. डेविश जैन ने इस अवसर पर कम्पटीशन में भाग ले रहे छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ज्ञान से ज्यादा विवेक का मुल्य है l आज जरुरत है ज्ञान को व्यवहारिक बनाने की है l छात्रों, बच्चों के पास ज्ञान है पर उसे व्यावहारिक धरातल पर उतारने का विवेक नहीं है l जरूरत इसी व्यवहारिक ज्ञान की है l
स्वागत भाषण देते हुए प्रेस्टीज डिपार्टमेंट ऑफ़ लॉ के प्रभारी डॉ. निशांत जोशी ने मूट कोर्ट कॉम्पिटिशन एवं प्रेस्टीज ग्रुप की शैक्षणिक यात्रा की जानकारी दी l इस अवसर पर प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (पी जी) की डायरेक्टर डॉ. योगेशवरी फाटक, प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के डायरेक्टर इंचार्ज डॉ. आर के शर्मा, प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्री अनिल वाजपेयी के साथ साथ बड़ी संख्या में लॉ के छात्र छात्राएं उपस्थित थे l