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सोरायटिक आर्थराइटिस के रोगी कैसे जिएं स्वस्थ जीवन
– डॉ.आशीष बाड़ीका, रूमैटोलॉजिस्ट, आर्थराइटिस, इम्युनोलॉजी और रूमैटोलॉजी सेंटर , इंदौर
जिंदगी की रफ्तार को देखते हुए,यह जरूरी है कि हम अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्यवर्धक आदतें विकसित करें। इसमें न सिर्फ नियमित व्यायाम और खानपान शामिल हैं बल्कि नियमितता बनाये रखना भी महत्वपूर्ण है। ऐसी गतिविधियों और अनुभवों में शामिल होना जरूरी है जिससे आपका मन और शरीर स्वस्थ रहे। फ़िलहाल यह बात उन मरीजों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है जो सोरायटिक आर्थराइटिस से पीड़ित हैं।
सोराइसिस के मरीजों को अक्सर सोरायटिक आर्थराइटिस (पीएसए) होता है जो एक प्रकार का ज्वलनशील आर्थराइटिस है जिसके कारण उँगलियों,अंगूठों,घुटनों और रीढ़ में सूजन आ जाती है, साथ ही जोड़ों में दर्द और कठोरपन आ जाता है।
अन्य मामलों में पीएसए के लक्षण दूसरे प्रकार के ज्वलनशील आर्थराइटिस के जैसे हो सकते हैं -रूमैटॉयड आर्थराइटिस या गठिया। फिलहाल अधिकतर मामलों में जानकारी के अभाव में स्थितियों के परीक्षण में देरी हो जाती है। एक ग्लोबल शोध के मुताबिक लगभग 30 प्रतिशत व्यक्तियों को जिन्हें सोरायसिस है उनमें सोरायटिक आर्थराइटिस होने की संभावना अधिक होती है।
अधिकांश चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि पीएसए के तमाम मरीज पहले अपने प्राइमरी केयर फिजिशियन के पास जाते हैं। जब तक उन्हें आगे की जांच हेतु रूमैटोलॉजिस्ट के पास भेजा जाता है तब तक स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है।
यदि आपको सोरायटिक आर्थराइटिस है तो जरूरी हो जाता है कि आप समय से इलाज कराएं जिससे आपके जीवन को कोई खतरा न हो। यहां सोरायटिक आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के लिए कुछ उपयोगी सुझाव दिए गए हैं जिससे वह स्वस्थ्य जीवन शैली को बरकरार रख सकते हैं।
रूमैटोलॉजिस्ट से संपर्क करें – फिलहाल पीएसए के लिए कोई निश्चित इलाज नहीं है लेकिन इसे प्रभावशाली ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है और बीमारी को बढ़ने से काफी हद तक रोका जा सकता है। रूमैटोलॉजिस्ट ज्यादातर मरीजों को शारीरिक परीक्षण या एक्स-रे कराने की सलाह देते हैं ताकि देखा जा सके कि क्या सोरायसिस का कोई पारिवारिक इतिहास रहा है। रूमैटोलॉजिस्ट यह सलाह दे सकता है कि किस प्रकार पीएसए को बेहतर ढंग से मैनेज किया जाय ताकि जिंदगी बेहतर बने और आप रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे चलने-फिरने आदि में सक्षम बनें।
नियमित व्यायाम का रूटीन अपनायें:अपनी जरूरतों और बीमारी की गंभीरता के अनुसार रूमैटोलॉजिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह कर दैनिक व्यायाम की सूची तैयार करें। आप विभिन्न गतिविधियों को आजमा सकते हैं और जिससे आपको राहत मिलती हो, उसका चयन कर सकते हैं। योग या तैराकी जैसी गतिविधियां सम्पूर्ण रूप से आपकी स्थिति में सुधार लाने का काम कर सकती हैं।
अपने खानपान पर नजर रखें : संयमित आहार आर्थराइटिस के मरीजों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। पोषणविद से संपर्क करके आप अपने लिए व्यवस्थित खानपान योजना तैयार कर सकते हैं। किस तरह का भोजन आपके लिए लाभप्रद होगा, यह जानकारी आपके जोडों के लिए उपयोगी हो सकती है। आपके लिए वजन की जांच भी महत्वपूर्ण है। अगर आप मोटापे का शिकार हैं तो अच्छा रहेगा कि आप वजन में कमी लाएं। इससे आपके जोड़ों पर दबाव कम करने में सहायता मिलेगी।
अपनी आवश्यकता बताएं और सहायता लें: सुधार होने में थोड़ा समय लगता है। सुनिश्चित करें कि आपको रिकवरी के दौरान अपने परिवार और चिकित्सकों की पर्याप्त सहायता मिल रही है। इसमें चिकित्सा, व्यायाम का समय और स्वास्थ्यवर्धक भोजन की बात शामिल है। यह सारी आवश्यकताएं अकेले पूरी करना थोड़ा कठिन साबित हो सकता है। अगर आपको लगे कि कुछ हफ़्तों से आप दुखी हैं या सुस्त महसूस कर रहे हैं तो आप अपने रूमैटोलॉजिस्ट से मिलें या साइकोलॉजिस्ट से मिलने पर विचार करें।