“अंध मातृ-पितृ भक्त बनने से बचे (लघुकथा)”

“अंध मातृ-पितृ भक्त बनने से बचे (लघुकथा)”

कहते है जीवन में साक्षात भगवान का स्वरूप माता-पिता होते है और यह सच भी है कि बच्चे के लालन-पालन में माता-पिता स्वयं ही खर्च हो जाते है। माता-पिता बनने के बाद उनकी केवल एक ही अभिलाषा रह जाती है कि मेरे बच्चे का कभी अहित न हो। भवानी को अपनी शिक्षा और इंटर्नशिप के कारण अपने गुरु के घर जाकर भी कभी-कभी अध्ययन में आने वाली परेशानियों के समाधान हेतु उनसे परामर्श लेना पड़ता…

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“ममता बनी आजीवन का बोझ”

“ममता बनी आजीवन का बोझ”

कच्ची उम्र में शादी के चलते कल्याणी गर्भधारण, गर्भावस्था के समय के देखरेख और पोषण, इन सभी महत्वपूर्ण बातों से अंजान थी। परिवार का मूल मंत्र था की लड़कियों का ब्याह जल्दी कर देना चाहिए। इसी के चलते कल्याणी का विवाह शंभू के साथ हो गया। कल्याणी तो अभी परिणय बंधन की जिम्मेदारियों को समझने में सक्षम भी नहीं थी पर वह पारिवारिक दबाव के कारण मातृत्व की सीढ़ी चढ़ने को अग्रसर हो गई थी।…

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आजादी के 75 साल बाद भारत में राजनैतिक पुर्नजागरण एवं सबसे बड़ा आश्चर्य देखने को मिलेगा

आजादी के 75 साल बाद भारत में राजनैतिक पुर्नजागरण एवं सबसे बड़ा आश्चर्य देखने को मिलेगा

भारत में मोदी के बाद कौन होगा, नवरात्रि के दौरान इसके उत्तर के साथ राजनैतिक पुर्नजागरण का नया दौर देखने को मिलेगा। स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के बाद आज भारत नए युग की नई चुनौतियों एवं नए अवसरों के दौर से गुजर रहा है। सर्वोच्च नेतृत्व भारतीय राजनीति व शासन के मामलों में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए बागडोर युवा, ऊर्जावान एवं प्रभावशाली प्रत्याशियों को सौंपने के लिए एक नई रणनीति…

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खत्म होने की कगार पर एक युग- अतुल मलिकराम

खत्म होने की कगार पर एक युग- अतुल मलिकराम

कस्तूरी मृग की कस्तूरी के समान लालसा से परिपूर्ण जब मैं अतीत की खुशबू लेने बैठा, तो पाया कि रोज रात को दादी की लोरी सुनकर सोने के बाद सुबह आँख खुलते समय मम्मी के हाथ पर लेटा हुआ मैं और शायद हर बच्चा इसी सुकून भरे प्रश्न के साथ उठा करता था कि आखिर मैं यहाँ कैसे आया? खैर, पापा के हाथों से ब्रश करके और दो बिस्किट के साथ चाय पीकर दादाजी के…

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जेसीबी साहित्य पुरस्कार 2021- लॉन्ग लिस्ट की घोषणा

जेसीबी साहित्य पुरस्कार 2021- लॉन्ग लिस्ट की घोषणा

भारतीय लेखन के लिए सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों की लॉन्गंलिस्टा में इस वर्ष 6 नई एंट्री के साथ नवोदित लेखकों का दबदबा है। नई दिल्ली, 2021: जेसीबी साहित्य पुरस्कार 2021 की लॉन्ग लिस्टं की आज घोषणा कर दी गई है। पांच जजों के एक पैनल के जरिए 10 उपन्यासों की सूची का चयन किया गया था, जिसमें सारा राय (चेयर), लेखक और साहित्यिक अनुवादक; डॉ अन्नपूर्णा गरिमेला, डिजाइनर और कला इतिहासकार; शहनाज हबीब, लेखक और अनुवादक;…

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“मुरली मनोहर श्रीकृष्ण”

“मुरली मनोहर श्रीकृष्ण”

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका) तृष्णा से मुक्ति का द्वार है श्रीकृष्ण। मोक्ष प्राप्ति का सरल-सरस मार्ग है श्रीकृष्ण। जीवन के सत्य का साक्षात्कार है श्रीकृष्ण। धर्म की रक्षा के लिए सदैव अवतरित होते है श्रीकृष्ण। मोर-मुकुटधारी भिन्न रंगो का सम्मिश्रण है श्रीकृष्ण। विरह की वेदना की प्रत्यक्ष अनुभूति है श्रीकृष्ण। अन्तर्मन की शांति का प्रतीक है श्रीकृष्ण। मुरली मनोहर बन संगीत को महत्व देते है श्रीकृष्ण। रासलीला, नृत्य करते आनंद के क्षण…

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“ध्यान की उत्कृष्ट पराकाष्ठा : शिव”

“ध्यान की उत्कृष्ट पराकाष्ठा : शिव”

शिव ईश्वर का सत्यम-शिवम-सुंदरम रूप है। शिव वो है जो सहजता एवं सरलता से सुशोभित होते है। वे ऐसे ध्यानमग्न योगीश्वर है जो नीलकंठ बनकर अपने भीतर विष को ग्रहण किए हुए है और भुजंगधारी बनकर विष को बाहर सजाए हुए है। इसके विपरीत भी उमापति की एकाग्रता, शांतचित्त रूप और ध्यान में कहीं भी न्यूनता परिलक्षित नहीं होती। वैभव देने वाले भोलेनाथ स्वयं वैरागी रूप में विराजते है। ध्यान की उत्कृष्ट पराकाष्ठा शिव अपने…

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मंथन, बेहतर भविष्य का…. नए कल का….

मंथन, बेहतर भविष्य का…. नए कल का….

सबसे अलग सोचने और हमेशा ही कुछ बेहतर करने के जज़्बे वाली देश की अग्रणी पब्लिक रिलेशन्स कंपनी पीआर 24×7 ने एक बार फिर से बेहतरी की परिभाषा का सृजन किया है, जो पूरी तरह निर्भर है बेहतर भविष्य और नए कल पर। कुछ नया सीखने की चाह में संस्था ने एक नई पहल की शुरुआत की है। संस्था में कार्यरत सभी एम्प्लॉयीज़ के लिए प्रति शुक्रवार मंथन सीरीज़ का वर्चुअल आयोजन किया जा रहा…

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संस्कृति और विरासत की गोद में बैठे भारत से विलुप्त होते संस्कार- अतुल मलिकराम

संस्कृति और विरासत की गोद में बैठे भारत से विलुप्त होते संस्कार- अतुल मलिकराम

संस्कृति और विरासत की गोद में बैठे भारत को संस्कारों का देश कहा जाता है। अच्छे संस्कार हमारे देश के लोगों के रोम-रोम में बसते हैं। बात घर आए मेहमान का आदर सत्कार करने की हो या भोजन को देवतुल्य मानने की, माता-पिता और गुरु को भगवान् का दर्जा देने की हो या अन्य प्राणियों की सेवा की, सद्भावना और परोपकार की परिभाषा का ताना-बाना हर एक भारतीय के संस्कारों में जन्म से ही बुना…

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“कोरोना सुनामी और संगठित प्रयास”

“कोरोना सुनामी और संगठित प्रयास”

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका) कैसी आई 2021 की यह डरावनी कोरोना लहर। नियमों के सख्त पालन से रोकना होगा यह कहर॥ समय नहीं है आरोप-प्रत्यारोप, स्वीकार-अस्वीकार और असत्य प्रसार का। यह समय तो है केवल यथार्थ धरातल पर मानवीय व्यवहार का॥ माना कि कोरोना त्रासदी का तिमिर चहुँ ओर है फैला। महामारी का यह विकराल रूप देख मन व्यथित हुआ और दहला॥ सर्वत्र दिखाई दे रही मानवीय वेदना और इसका दर्द भी…

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