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भविष्य के लिए तैयार दिल्ली का आईजीआई हवाई अड्डा
चंडीगढ़, पंजाब, लखनऊ, इंदौर, नागपुर और अहमदाबाद से यात्रियों को करेगा बिना झंझट दुनिया भर की उड़ान भरने में मदद
हवाई अड्डे की एयरसाइड क्षमता बढ़ाने के लिए हो रहा विस्तार ताकि हर वर्ष 14 करोड़ तक यात्रियों को संभालने में हो सहूलियत
3ए चरण का विस्तार पूरा होगा जून 2022 तक
इंदौर. इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे को भविष्य के लिए तैयार करने और यात्रियों की आवाजाही सुगम बनाने के मकसद से 3ए चरण का विस्तार कार्य पूरी तेजी से शुरू हो गया है।
हवाई यातायात की बढ़ती आवाजाही और यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 3ए चरण का विस्तार कार्य मास्टर प्लान 2016 के अनुसार किया जा रहा है, जिससे आईजीआई हवाई अड्डे को हवाई यातायात में होने वाली वृद्धि संभालने में मदद मिलेगी।
ये कार्य जब पूरे हो जाएंगे तो दिल्ली हवाई अड्डे के पास अगले तीन वर्ष में सालाना 10 करोड़ यात्री संभालने की क्षमता भी आ जाएगी और सालाना 14 करोड़ यात्रियों को एयरसाइड क्षमता भी हो जाएगी।
3ए चरण के विस्तार कार्य का उद्देश्य वृद्धि के लिए समयबद्ध तरीके से क्षमता बढ़ाना, सेवा स्तर पर अभीष्ट जरूरतें पूरी करना और अधिकतम कार्य क्षमता हासिल करने,यात्रियों का अनुभव बेहतर करने एवं टर्मिनलों का वातावरण जीवंत बनाने के लिए नई तथा बेहतर प्रक्रियाएं एवं प्रौद्योगिकियां अपनाना है।
जीएमआर समूह की अगुआई वाली दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) जीएमआर समूह, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और फ्रापोर्ट की कंसोर्टियम है। कंसोर्टियम के पास 30 वर्ष तक दिल्ली एयरपोर्ट के लिए वित्त मुहैया कराने, डिजाइन बनाने, निर्माण करने, परिचालन करने एवं रखरखाव करने का अधिकार है। वह इसे 30 वर्ष के लिए बढ़ा भी सकती है।
आईजीआई हवाई अड्डे के आधुनिक बनने एवं भविष्य के लिए तैयार होने से विशेषकर इंदौर, भोपाल] चंडीगढ़, पंजाब, लखनऊ, , जयपुर, अहमदाबाद और नागपुर से आने वाले यात्रियों को सुगमता से प्रवेश करने और विश्व स्तर की आधुनिक सुविधाओं के साथ बगैर झंझट दुनिया भर की यात्रा करने में को मदद मिलेगी।
3ए चरण के अंतर्गत विकास की पूरी योजना के तहत डायल टी1 में प्रस्थान एवं आगमन टर्मिनलों के एकीकरण, टी1 पर एन एप्रन, चौथे रनवे, डुअल एलिवेटेड ईस्टर्न क्रॉस टैक्सीवेज (ईसीटी) के निर्माण, आवाजाही एवं संपर्क में सुधार के लिए लैंडसाइड विकास एवं टी3 में बदलाव का कार्य करेगी। विस्तार के बाद दिल्ली हवाई अड्डा चार रनवे और डुअल एलिवेटेड ईस्टर्न क्रॉस टैक्सीवे वाला भारत का पहला हवाई अड्डा बन जाएगा।
आगमन और प्रस्थान टर्मिनलों को एक ही छत के नीचे ला दिया जाएगा, जिससे नया एकीकृत टर्मिनल 1 तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही बैगेज हैंडलिंग और सिक्योरिटी स्क्रीनिंग प्रणालियों में भी इजाफा किया जाएगा। टर्मिनल 1 का कुल क्षेत्रफल अभी 64,140 वर्ग मीटर है, जो बढ़कर 192,985 वर्ग मीटर हो जाएगा। इसी तरह अभी इसमें सालाना 2 करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता है, जो बढ़कर 4 करोड़ सालाना हो जाएगी।
इसके अलावा एकीकृत टर्मिनल में आधुनिक प्रौद्योगिकियों की मदद से यात्रियों को सहूलियत देने वाली कई सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। इनमें फेशियल रिकग्निशन,ऑटोमेटेड ट्रे रिट्रीवल सिस्टम, इंडिविजुअल कैरियर सिस्टम, कॉमन यूसेज सेल्फ सर्विस तथा सेल्फ बैगेज ड्रॉप कियॉस्क शामिल हैं। इनसे यात्रियों को लंबी कतारों से मुक्ति मिलेगी और यात्रियों की आवाजाही आसान होगी।
3ए चरण में होने वाले कार्यों के बारे में जीएमआर समूह के उप प्रबंध निदेशक श्री आई प्रभाकर रेड्डी ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हवाई यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जिसे देखते हुए दिल्ली हवाई अड्डे का विस्तार जरूरी हो गया है ताकि उसे यात्रियों के लिए बेहतर अनुभव के साथ भविष्य के लिए तैयार किया जा सके। दिल्ली हवाई अड्डे के वृहद विस्तार से मौजूदा विमानन कंपनियों को सेवाएं बेहतर करने में मदद मिलेगी और नई विमानन कंपनियों को अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए पर्याप्त स्थान भी मिल जाएगा।
इस विस्तार के साथ ही दिल्ली हवाई अड्डा एक बार फिर हवाई अड्डा अनुभव के लिहाज से नए मानक गढ़ देगा। हमारा सपना है कि हम अपने ग्राहकों के लिए विश्व स्तर की सुविधाएं और मूल्यवर्द्धित सुविधाएं तैयार करने में सबसे आगे रहें और इसे दुनिया के सबसे बेहतरीन हवाई अड्डों में से एक बनाएं। अगले तीन वर्ष के लिए मेहनत के साथ निर्माण कार्य करते समय सक्षम परिचालन और बेहतर ग्राहक सेवा पर हमारा जोर पहले की तरह बना रहेगा।”
3ए चरण के लिए इंजीनियरिंग एवं खरीद का पूरा काम एलएंडटी को सौंपा गया है और सभी मोर्चों पर काम शुरू हो चुका है।
प्रस्तावित योजना में टी1 का पूरा एप्रन तोड़ दिया जाएगा और नया तथा बड़ा एप्रन बनाया जाएगा ताकि उसकी क्षमता बढ़ जाए। इसमें 82 कोड सी स्टैंड होंगे, जिनमें 22 कॉण्टैक्ट स्टैंड और 8 मल्टिपल एयरपोर्ट रैंप सिस्टम होंगे, जो बढ़े हुए हवाई यातायात को संभालने में मददगार होंगे। नए टी1 एप्रन में स्टैंड की संख्या तो अधिक होगी ही,अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी होगा, जिसमें विजुअल डॉकिंग गाइडेंस सिस्टम, फ्यूल हाइड्रेंट सिस्टम, ग्राउंड पावर यूनिट, प्री-कंडीशन्ड एयर आदि शामिल हैं।
हवाई अड्डे के पूर्वी छोर पर अपनी तरह के पहले डुअल एलिवेटेड क्रॉस टैक्सीवेज का निर्माण किया जाएगा, जो उत्तरी एयरफील्ड को दक्षिणी एयरफील्ड से जोड़ेगा। इससे एयरफील्ड की कार्यक्षमता बढ़ेगी और विमानों को गेट से रनवे तक जाने में कम समय लगेगा। हवाई यातायात की आवाजाही बढ़ाने के लिए दक्षिण में रनवे 11/29 के समांतर चौथा रनवे बनाया जाएगा, जिसकी लंबाई 4,400 मीटर होगी।
टर्मिनल 3 के अंतरराष्ट्रीय ट्रांसफर क्षेत्र में अच्छी खासी बढ़ोतरी होने वाली है। टी3 में सातवां चेक-इन आईलैंड भी जोड़ा जा रहा है, जिसमें बैगेज हैंडलिंग सिस्टम तथा दो आगमन कैरसेल भी होंगे। टी3 की सभी बैगेज हैंडलिंग प्रणालियों की आईटी व्यवस्था को उन्नत बनाया जा रहा है। इन सबके बाद टी3 में यात्रियों की संख्या 3.4 करोड़ सालाना से बढ़कर 4.5 करोड़ सालाना हो जाएगी।