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मध्यप्रदेश को क्वांटिटी में डेंटिस्ट मिल रहे है क्वालिटी में नहीं: जुलानिया
– अपर मुख्य सचिव श्री राधेश्याम जुलवानिया भी कॉन्फ्रेंस देखने पहुंचे
इंदौर. प्रदेश में डैंटल कॉलेज ज्यादा है इसलिए डेन्टिस्ट भी बहुत है लेकिन प्राइवेट कॉलेज कैसे डेन्टिस्ट बना रहे ये हम सब देख रहे है, हमे क्वांटिटी में डेन्टिस्ट मिल रहे है क्वालिटी में नही। ऐसे कॉलेज बन्द होने चाहिए और बच्चों के पेरेंट्स को भी समझना चाहिए की वे इस तरह के कॉलेज में बच्चों को भेज क्यों रहे है।
यह कहना है अपर मुख्य सचिव (मेडिकल एजुकेशन) श्री राधेश्याम जुलानिया का वे शनिवार को 72वीं इंडियन डेंटल कॉन्फ्रेंस में पहुंचे उन्होंने प्राइवेट कॉलेज की पर शिकंजा जड़ते हुआ कहा के वे जिस तरह की शिक्षा परोस रहे उसे बच्चों का समय और पेरेंट्स का पैसा बर्बाद हो रहा है।
उन्होंने ब्रिज कोर्स के बारे में भी कहा कि इसकी जरूरत तो है लेकिन यह सेंट्रल गवर्मेंट के अंतर्गत आता है इसलिए फैसला भी भारत सरकार द्वारा ही हो सकता है। कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन 70 साइंटिफिक सेशन हुए और देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन रखा गया। सिंगर पावनी पांडेय ने दी रंगा रंग प्रस्तुति।
प्रदेश को ऐसी कॉन्फ्रेंस की जरूरत थी
कॉन्फ्रेंस ऑर्गनइजिंग चैयरमेन डॉ देशराज जैन ने बताया शहर में इस कॉन्फ्रेंस के होने से पूरे प्रदेश को फायदा मिला है। कई स्टूडेंट्स को बीडीएस के बाद किस फ़ील्ड में जाना है इस बात की समझ आ गई है। कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनइजिंग सेक्रेटरी डॉ मनीष वर्मा बताते है वर्ल्ड क्लास वर्क को देखने और सीखने का मौका मिला। 20 इनटरनेशनल फेकल्टी से एक मंच पे मिलना मतलब अगले 5 सालो तक के तैयारी होने जैसा है।
रंग का खूबसूरती से कोई नाता नहीं
बेंगलुरु से आए डॉ विक्रम शेट्टी री-स्ट्रक्चर फेशियल सर्जरी एक्सपर्ट है उन्होंने बताया चेहरे की खूबसूरती का नाता रंग से नहीं होता। मेरे पास आने वाले मरीजों में 60% चेहरे को सुंदर बनाने के साथ-साथ गोरा होने के बारे में भी कहते हैं हमें उन्हें समझाना पड़ता है कि एक बार चेहरा खूबसूरत हो जाएगा तो आपको गोरे रंग की जरूरत नहीं पड़ेगी और ऐसा होता भी है।
हम लियोनार्डो डा विन्ची द्वारा बनाए गए गोल्डन प्रोपोर्शन मेथड पर काम करते हैं जिसमें हम चेहरे के प्रपोरशन को नापते हुए चेहरे को सही अनुपात आकार देते हैं चेहरे को सुंदर बनाने के लिए जबड़े दांत, गाल, नाक, थोड़ी आदि की सर्जरी की जाती है डॉक्टर शेट्टी कहते हैं देश की जितनी भी खूबसूरत महिलाओं का हम जिक्र करते हैं उन सब का रंग गोरा नहीं था जैसे द्रोपदी। ब्रिटिश इंडिया के राज के बाद लोगों में गोरे रंग के प्रति आकर्षण बड़ा हैं।
डॉक्टर शेट्टी ने बताया 2008 के बाद से लोगों में खूबसूरत दिखने और विभिन्न तरह की सर्जरी करवाने का चलन बढ़ा है पहले जहां यह सर्जरी हायर सोसायटी के लोग ही करवाया करते थे अब मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास भी इसे करवा रहा है। हमारे हॉस्पिटल द्वारा कई कैंप चलाए जाते हैं और इन कैंपो में आने वाले मरीजों की यह सर्जरी निशुल्क तक होती है।
रूट कैनाल के दौरान ही निकाली जाएगी पस
नॉन सर्जिकल रूट कैनाल प्रोसीजर को करने वाले रायपुर के डॉ संजीव कुन्हपन ने अपनी नई टेक्निक विकसित करके देश और दुनिया में नाम कमा लिया है। उन्होंने बताया बचपन में एक्सीडेंट की वजह से कई बार सामने के दांतों पर चोट लगती है, जो आगे जाकर दांत को काले रंग में बदल देती है.
ऐसे केस में कई बार गाल में पस भर जाने की शिकायत भी सामने आती है इस तरह के केस में अभी तक डॉक्टरों द्वारा दो सर्जरी की जाती थी एक में रूट कैनाल और 5 दिन बाद पस निकालने की सर्जरी होती थी लेकिन हमने अपनी नई तकनीक के इजाद से रूट केनाल के साथ ही पस निकालने की तकनीक बनाई है इस तकनीक में मरीज को एक ही बार में दोनों तकलीफों का निदान मिलता है.
यह तकनीक हर उस तकलीफ में काम आती है जिसमें चेहरे के किसी हिस्से पर पस भर गई हो इस तकनीक के फायदे देखें तो पस निकालने वाली सर्जरी में अन्य किसी दांत के डैमेज होना, नर्व का दबना ,ब्लीडिंग, स्वेलिंग आदि समस्याओं से मरीज को निदान मिल जाता है हमने सर्जरी की खोज के बाद 6 साल से लगातार मरीजों का डाटा तक मेंटेन कर रहे हैं जिनमें दोबारा कभी ऐसी कोई तकलीफ उत्पन्न नहीं हुई है।
1.5 किलो का एक्सरे और इनवीसीबल ओर्थो एलाइनर्स
ट्रेड फेयर चेयरमैन डॉ विवेक चौकसे ने बताया यह पहली बार हो रहा है जब शहर में इंटरनेशनल लेवल के ट्रेड फेयर लगाया गया है यहां कुछ ऐसे स्टॉल भी आए हैं जो देश में पहली बार हिस्सा ले रहे हैं। यहां मिलने वाली इंस्ट्रुमेंट्स व अन्य तकनीकी चीजें अब तक लेने के लिए एक्सपर्ट को दिल्ली की ओर रुख करना पड़ता था। ट्रेड फेयर की खासियत है कि यहां पर दांतों, जबड़ों के 3D एक्स रे से लेकर उन्हें बनाने और लगाने तक बिना हाथ लगाए सारी चीजें मशीनों द्वारा संभव होने वाले टूल्स और यूटिलिटी यहां मौजूद है।
ट्रेड फेयर में मोबाइल एक्सरे मशीन जिसका वजन मात्र 1.5 किलो है उसे भी देखा जा रहा है। डॉ चौकसे ने बताया ट्रेड फेयर में कुछ स्टार्टअप्स ने भी हिस्सा लिया है जिसमें से एक स्टरलाइजेशन मशीन बनाने वाली कंपनी पहली बार आई है, इसकी खास बात यह है की यह ओजोन की सहायता से सर्जिकल इक्विपमेंट्स को स्टेरलाइज करती है जिसे अब तक करने के लिए गर्म पानी आदि का उपयोग किया जाता था जिसमें इक्विपमेंट्स सड़ने गलने, धब्बे और जंग होने जैसी समस्याओं को देखते थे। ट्रेड में इनविजिबल ऑर्थो एलाइनर्स ब्रेसेस के प्रति भी स्टूडेंट्स और एक्सपर्ट्स का रुझान दिखा। ट्रेड फेयर में एक 3D प्रिंटर भी पेश किया गया जिसमें जैसी इमेज फीड की जाए उससे वैसा ही मॉडल पॉलीमर मैटेरियल से उकेर के सेंपल तैयार किया जाता है। कॉन्फ्रेंस टीम में डॉ पल्लव पाटनी, डॉ सुमीत जैन, डॉ गगन जैसवाल आदि का विशेष सहयोग रहा।