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कलर्स के ‘लक्ष्मी नारायण’ में आगे: क्या हयग्रीव इस दिव्य जोड़े के विवाह को तोड़ देगा?
कलर्स का ‘लक्ष्मी नारायण – सुख सामर्थ्य संतुलन’ ब्रह्मांड के आदर्श जोड़े, देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की महागाथा को प्रदर्शित करता है, जिसमें भगवान नारायण के रूप में श्रीकांत द्विवेदी हैं और शिव्या पठानिया देवी लक्ष्मी की भूमिका निभा रही हैं। दर्शकों का प्यार बटोरते हुए, यह पौराणिक कहानी सुख, सामर्थ्य और संतुलन का खज़ाना लुटाकर, वैवाहिक परंपराओं की उत्पत्ति पर चर्चा करती है। इसकी मौजूदा कहानी में, जबकि लक्ष्मी दिव्य क्षीरसागर का निर्माण करती हैं और नारायण वैकुंठ के स्वर्गीय निवास की स्थापना करते हैं, शक्तिशाली हयग्रीव के रूप में एक भयानक चुनौती सामने होती है।
वह भगवान महादेव के समक्ष लक्ष्मी के लिए एक भव्य स्वयंवर आयोजित की मांग करता है। लक्ष्मी स्वयंवर की मांग स्वीकार कर लेती हैं, लेकिन उनकी एक शर्त है – वह केवल उसी से विवाह करेंगी जो अविनाशी सुदर्शन चक्र को तोड़ सकें, अन्यथा कोई भी ताकत उन्हें अपने प्रिय नारायण से विवाह करने से नहीं रोक सकेगी। चूंकि प्रतियोगी या तो असफल हो जाते या चुनौती से पीछे हट जाते, हयग्रीव खुद अपना सर्वश्रेष्ठ देता है, लेकिन असफल हो जाता है और इस शक्तिशाली चक्र को तोड़ने में असमर्थ रहता है। इस स्वयंवर के माध्यम से, जय माला की पवित्र परंपरा का जन्म होता है, और ब्रह्मांड लक्ष्मी और नारायण के दिव्य मिलन का साक्षी बनता है।
उनके मिलन की घड़ी को किसी भी तरह से बर्बाद करने के लिए दृढ़ संकल्पित, हयग्रीव ऋषि कश्यप को एक शक्तिशाली अस्त्र बनाने के लिए मजबूर करता है, जिससे उस चक्र को नष्ट किया जा सके। इस बीच, लक्ष्मी और नारायण के विवाह से प्रसिद्ध मंगलम मंत्र सहित विभिन्न पवित्र अनुष्ठानों की उत्पत्ति होती है। हयग्रीव के नवनिर्मित अस्त्र का उपयोग केवल एक बार किया जा सकता है, और दिति की सलाह पर, वह अनिच्छा से इस दिव्य विवाह में बाधा बनने से पीछे हट जाता है।
हालांकि, इस दिव्य विवाह के तुरंत बाद, हयग्रीव उनके बंधन को तोड़ने के इरादे से नवविवाहित जोड़े, लक्ष्मी और नारायण पर आक्रमण करता है। वह इस विध्वंसक अस्त्र को छोड़ता है, लेकिन उनके विवाह की शक्ति – गठजोड़ अजेय साबित होती है, और हयग्रीव का अस्त्र नष्ट हो जाता है, जिससे पवित्र वैवाहिक बंधन का सर्वोच्च महत्व और भी मजबूत हो जाता है। पराजित और क्रोधित, हयग्रीव पूरी सृष्टि को नष्ट करने वाली प्रलयकारी घटना, महाप्रलय को अंजाम देकर बदला लेने का प्रयास करता है। लक्ष्मी और नारायण मत्स्य अवतार लेते हैं और महान भक्त मनु की मदद से जीवन के सभी रूपों को विलुप्त होने से बचाते हुए, ब्रह्मांड में संतुलन और सद्भाव बहाल करते हैं।