उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ 4-दिवसीय छठ महोत्सव का हुआ समापन

इंदौर: चार-दिवसीय छठ महोत्सव का समापन गुरुवार को सर्द सुबह में शहर में बसे पूर्वांचल के हजारों श्रद्धालुओं द्वारा उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ। कल शाम का अर्घ्य देने के पश्चात मध्य रात्रि के पश्चात से ही शहर के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं एवं छठ व्रतियों का आना शुरू हो गया। सुबह 4 बजे तक शहर के सभी घाट छठ उपासकों एवं श्रद्धालुओं से भरे नज़र आ रहे थे। रंग बिरंगी विद्दयुत से सजी ये घाटें, छठ मैया के लोकगीतों के बीच अत्यंत मनमोहक दृश्य पैदा कर रहे थे। सूर्योदय का समय जैसे जैसे निकट आ रहा था, जल कुंडों में खड़ी व्रती महिलायें एवं पुरुष एकाग्रचित होकर भगवान् भास्कर की आराधना में लीन होकर घर परिवार, समाज, प्रदेश एवं देशवासियों की सुख समृद्धि, शांति हेतु कामनाएं कर रहे थे।

सूर्योदय होते ही शहर के अनेकों घाटों पर उपस्थित बिहार एवं पूर्वांचल के साथ साथ स्थानीय श्रद्धालुओं ने भगवान् भास्कर के उदीयमान स्वरुप को ”आदि देव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर:, दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ” तथा ऊं सूर्याय नम: के मंत्रोच्चार के बीच अर्घ्य देकर घर परिवार, समाज एवं देश के सुख समृद्धि एवं कोरोना महामारी से मुक्ति की कामना की । पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के प्रदेश महासचिव श्री के के झा ने कहा कि शहर के कई घाटों पर स्थानीय नेताओं, विशेषरूप से कैलाश विजयवर्गीय, शंकर लालवानी, जीतू पटवारी, संजय शुक्ला ने शहर के अलग अलग घाटों पर उपस्थित होकर भगवान् भास्कर को अर्घ्य दिया और छठ पूजा में सम्मिलित हुए। तुलसी नगर में छठ आयोजकों द्वारा उपस्थित श्रद्धालुओं को ठेकुआ, केला एवं अन्य मौसमी फलों का प्रसाद वितरण किया गया।

सुबह की ठंढी बेला में, मन को झंकृत कर देने वाली छठी मैया के लोक गीतों के बीच शहर के अनेकों छठ घाटों विशषरूप से स्कीम न 54, स्कीम न 78, बाणगंगा, श्याम नगर एनेक्स, देवास नाका, सिलिकॉन सिटी, कैट रोड , एरोड्रोम रोड, पिपलियाहना तालाब,तिरुपति पैलेस निपानिया, तुलसी नगर, सूर्यदेव नगर का नज़ारा बिलकुल भक्तिमय हो गया। जहाँ छठ व्रतधारी जल कुंडों के ठंढे पानी में खड़े होकर बंद आखों से सूर्यदेव की आराधना में लीन थे, उनके परिजन घाट के समीप खड़े होकर भगवान् भास्कर के उदयकाल की प्रतीक्षा कर रहे थे।

कोरोना महामारी को दृष्टिगत रखते हुए शहर के छठ पूजा आयोजन समितियों द्वारा छठ घाटों पर सेनिटाइज़शन, मास्क इत्यादि की व्यवस्था की गयी थी तथा श्रद्धालुओं को उद्घोषणा के माध्यम से कोरोना नियमों का अनुपपालन करने के लिए कहा जा रहा था। बहुत सारे छठ उपासकों के परिवारों ने अपने अपने अपने घरों पर ही छठ पूजा का आयोजन कर कृत्रिम जलकुण्डों में भगवान् भास्कर को अर्घ्य दिया।

पूजा-अर्चना समाप्त होने के पश्चात घाट का पूजन किया गया। वहां उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरण करके व्रतधारी घर आए और घर पर भी अपने परिवार में प्रसाद वितरण किया। व्रतधारियों ने घर वापस आकर पीपल के पेड़ की पूजा की। इसके बाद कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण किया। खरना के दिन से इस दिन तक निर्जला उपवास करने के बाद फिर नमक युक्त भोजन ग्रहण किया।

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