समय नहीं, समझ के अभाव में चरमरा रही है मानवता

उषा नगर सत्संग भवन पर स्वामी रामदयाल महाराज के आशीर्वचन
इंदौर. आज की आपाधापी वाली दिनचर्या में हर व्यक्ति यही कहते सुना जाता है कि उसके पास परमात्मा के नाम स्मरण के लिए समय नहीं है. दूसरे कार्यों के लिए भी समय की कमी की दुहाई दी जाती हैं. वास्तव में यह समय नहीं, समझ की कमी है. समझ के अभाव में मानवता चरमरा रही है, परिवार बिखर रहे हैं, भाई-भाई के बीच रिश्तों में दरार आ रही है. आज के युग में समय का नहीं, समझ का अभाव ही इन्हीं सब हालातों के लिए जिम्मेदार हैं. हमारे धर्मग्रंथ इस समझ को परिपक्व बनाने का काम करते हैं. समझ श्रेष्ठ होगी तो व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र भी सभ्य और शालीन बनेंगे.
अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने आज उषा नगर सत्संग भवन पर आयोजित धर्मसभा में उक्त विचार व्यक्त किए. धर्मसभा में छावनी रामद्वारा के संत रामस्वरूप रामस्नेही, उदयपुर के संत नरपतराम, चित्तौड़ के संत रमताराम तथा संत दिग्विजयराम एवं अन्य संतगण भी उपस्थित थे. राजेंद्र असावा ने बताया कि आचार्यश्री 2 जुलाई को प्रात: 8.30 से 9.30 बजे तक प्रवचनों की अमृत वर्षा के बाद शाहपुरा के लिए निकलेंगे. रामनाम की महिमा विषय पर अपने आशीर्वचन में आचार्यश्री ने कहा कि परमात्मा की कृपा से जो समय हमें प्राप्त हुआ है, उसका सदुपयोग करना ही विवेकपूर्ण कर्म होता है. जीवन की धन्यता और सार्थकता यही हो सकती है कि हम अपने माता-पिता और बड़े बुजुर्गों की सेवा के साथ दूसरों के लिए जीना भी सीख लें. अपने लिए तो पशु भी जीते हैं लेकिन मानवता तभी सार्थक होगी जब हम दूसरों की आंखों के आंसू पोंछने में भी अपने समय का सदुपयोग करें. राम नाम के स्मरण से हमें ऐसी प्रेरणा और ऊर्जा मिलती है, जो हमें इन सदकर्मों की ओर प्रवृत्त करती है। राम से बड़ा राम का नाम माना गया है। राम नाम की महिमा अपरंपार और अनूठी है.
रामनाम स्मरण से मिलेगी समझ
उन्होंने कहा कि स्वामी रामचरण महाराज ने अनुभव वाणी में बहुत पहले लिखा है कि समय और समझ के तालमेल से ही हम जीवन को धन्य बना सकते हैं. आज के युग में न तो समय का अभाव है, न ही समझ का. समय रहते हुए अपनी समझ से काम करना ही जीवन की श्रेष्ठता कही जाएगी. समय का प्रबंधन भी समझ का ही हिस्सा है. अपने परिवार, समाज और राष्ट्र की समृद्धि के लिए परमात्मा के नाम स्मरण और पीडि़त मानवता की सेवा का लक्ष्य जिस दिन हम तय कर लेंगे, हमारा जीवन धन्य बन जाएगा. रामनाम के स्मरण से ही हमें ऐसी समझ मिलेगी जो सदकर्मों की ओर प्रवृत्त करेगी.

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