केयर सीएचएल हॉस्पिटल में विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कैंसर सर्वाइवर्स के साथ जागरूकता कार्यक्रम

इंदौर, 07 अप्रैल 2025: जब उम्मीद की किरणें फिर से जगमगा उठती है, तब पता चलता है कि जीवन ही सबसे बड़ी जीत है, इसलिए जीवन को आसान बनाये रखने के लिए हमे अपने स्वास्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए, इन्ही सब बातों को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर केयर सीएचएल हॉस्पिटल में कैंसर सर्वाइवर्स और उनके परिजनों के लिए एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस इवेंट का मुख्य उद्देश्य कैंसर से जूझ चुके वीरों की कहानियों को साझा कर स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना और समाज में सकारात्मक संदेश फैलाना था|
केयर सीएचएल के वरिष्ठ सलाहकार सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ रितेश तपकीरे ने कहा कि, “अपनी हेल्थ का ध्यान रखना सबसे पहले हमारी खुद की ज़िम्मेदारी है, यदि लक्षणों को समय रहते पहचाना जाए और सही इलाज शुरू किया जाए, तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है और कई मामलों में पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है। साथ ही, उन्होंने बताया कि तंबाकू और शराब कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं, लेकिन यह केवल उन्हीं से नहीं होता, हेरिडिटी, गलत जीवनशैली और प्रदूषण भी इसके कारक बन सकते हैं। उन्होंने जागरूकता पर जोर देते हुए कहा कि नियमित चेकअप और सही जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से बचाव संभव है।”
वरिष्ठ सलाहकार रक्त कैंसर एवं बोन मेरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. मनीष नेमा ने कहा, “ब्लड कैंसर का नाम सुनते ही कई लोग डर जाते हैं और उन्हें लगता है कि उनकी ज़िंदगी यहीं खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। आज के समय में मेडिकल साइंस ने कई ‘मैजिक बुलेट्स’ और असरदार टैबलेट्स बनाई हैं, जो ब्लड कैंसर को रोकने और कंट्रोल करने में बहुत मदद करती हैं। साथ ही, रेगुलर चेकअप और हेल्दी लाइफस्टाइल इस सफर को और भी आसान बना देते हैं।”
मुँह एवं गले के कैंसर सर्जन, डॉ. अपूर्व गर्ग ने कहा, “सर्जरी के बाद भी मरीज की देखभाल और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। मैंने देखा है कि 25% से ज़्यादा मुँह के कैंसर तंबाकू के सेवन से होते हैं, लेकिन तंबाकू के अलावा सुपारी, पान मसाला, हुक्का और अल्कोहल भी मुँह के कैंसर के मुख्य कारण हैं। यह सिर्फ़ एक्टिव स्मोकिंग तक सीमित नहीं है – पैसिव स्मोकिंग से भी कैंसर का खतरा काफ़ी बढ़ जाता है। इसलिए हमें अपने आस-पास के लोगों को इन खतरों के बारे में बताना चाहिए।”
मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ. कृष्णा चौधरी ने बताया, “तंबाकू के बाद मोटापा कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा खतरा है। अपने वजन को कंट्रोल में रखना और मसल मास को बनाए रखना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि स्वस्थ शरीर कैंसर से लड़ने में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही, सामाजिक सहारा रिकवरी को और भी मज़बूत बनाता है—परिवार और दोस्तों का साथ मानसिक रूप से सहारा देता है।”
कैंसर क्या है और कैसे होता है?
कैंसर शरीर के सेल्स का वह ग्रुप है जो बिना रुके बढ़ता और विभाजित होती रहता हैं। आम तौर पर, सेल्स की लाइफ साइकिल नियंत्रित होती है, वे बनती हैं, विभाजित होती हैं और पुरानी होकर मर जाती हैं। लेकिन जब इस चक्र में गड़बड़ी होती है, तो सेल्स बिना रुके बढ़ती हैं और ट्यूमर (गांठ) बनाती हैं, जो आसपास के टिश्यूज में फैल में घुसकर उन्हें नष्ट कर सकती हैं और ब्लड या लिम्फ के ज़रिए शरीर के दूसरे अंगों में भी फैल सकती हैं।