संधारण शुल्क को लेकर लघु उद्यमियों ने किया प्रदर्शन

इंदौर. बढ़े हुए संधारण शुल्क की दरों के विरोध मेें एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश के आह्वान पर आज पोलोग्राउंड कार्यालय के समक्ष बडी संख्या में उपस्थित उद्योगपतियों ने सरकार की दोहरी कर नीति को  अमान्य करने एवं संधारण नही तो संधारण शुल्क भी नहीं जैसे नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया. साथ ही रेली निकालकर जिला उद्योग केन्द्र के कार्यालय पहुंचकर महाप्रबंधक संतोष त्रिवेदी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. त्वरित उचित कार्यवाही हेतु मुख्यमंत्री जी को प्रेशित करने का अनुरोध किया.
महाप्रबंधक एवं उद्योगपतियो के समक्ष ज्ञापन का वाचन सचिव योगेश मेहता ने किया और शासन से उक्त निर्णय को वापस लेने की मांग रखी. वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने कहा कि उद्योगों को बिना विश्वास में लिए शासन ने संधारण शुल्क सन् 2015 से बढ़ाया है. इसके लिए उद्योगों की कोई राय भी नहीं ली गई. वहीं अब उद्योगों से बढ़ा हुआ शुल्क मय ब्याज एवं पेनल्टी के साथ वसूला जा रहा है।  जिसके कारण उद्योगों में बहुत आक्रोश है. उद्योगपतियों का कहना है कि एक ओर मध्यप्रदेश शासन मेक इन एमपी को बढावा देने की नीति अपना नही है तो दूसरी ओर छोटे उद्योगों को सडक पर प्रदर्शन करने को मजबूर कर रही है. इस प्रदर्षन में सम्मिलित उद्योगपतियों का कहना हैं कि यदि प्रदेश सरकार ने संधारण शुल्क में की गई बढ़ोतरी को वापस नहीं लिया तो वे उग्र आंदोलन करने को प्रेरित होंगे. इस संबंध में एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक दवे ने कहा कि सन् 2009 के पूर्व उद्योगों से कोई संधारण शुल्क नहीं लिया जाता था लेकिन वर्ष 2009 में ही प्रदेश सरकार ने 2.5 रू प्रति वर्गमीटर की दर से इन क्षेत्रों के उद्योगपतियो से संधारण शुल्क वसूलना प्रारंभ किया। चुंकि 2.5 रू प्रति वर्गमीटर का षुल्क बहुत अधिक नहीं था इसलिए उद्योगपतियों ने इसका कोई विरोध नही किया। लेकिन अब सरकार ने इस शुल्क को चार गुना बढ़ाकर 10 रू प्रति वर्गमीटर कर दिया है जिसका उद्योगपतियो व्दारा विरोध किया जा रहा है.
एकेवीएन का संधारण शुल्क कम
एकेवीएन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले औद्योगिक क्षेत्रों में बडे उद्योगपति लेकिन वहंा शुल्क कम – एआयएमपी के पदाधिकारियों का कहना है कि औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के तहत आने वाले औद्योगिक क्षेत्र में संधारण शुल्क काफी कम है जबकि एकेवीएन के तहत बडे उद्योगपति आते है इसके साथ ही एकेवीएन अपने औद्योगिक क्षेत्र में सडक, पानी, बिजली और अन्य जैसी सुविधाएं प्रदान करती है जबकि जिला उद्योग केन्द्र के औद्योगिक क्षेत्रों मे यह सुविधाएं छोटे उद्योगपतियों को उपलब्ध नहीं है.

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