धनतेरस के दिन यम दीप दान से मिलेंगे लाभ

डॉ श्रद्धा सोनी

धनतेरस के दिन यमदीपदान
05 नवम्बर सोमवार को धनतेरस है ।
इस दिन यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग नरक चतुर्दशी के दिन भी दीपदान करते हैं।

स्कंदपुराण में लिखा है

कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।
अर्थात कार्तिक मासके कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायंकाल में घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीप रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है ।

पद्मपुराण में लिखा है

कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।
कार्तिक के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप देना चाहिए इससे दुरमृत्यु का नाश होता है।

यम-दीपदान सरल विधि

यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए । इसके लिए आटे का एक बड़ा दीपक लें। गेहूं के आटे से बने दीप में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे एवं आपतत्त्वात्मक तमोगुणी तरंगे (अपमृत्यु के लिए ये तरंगे कारणभूत होती हैं) को शांत करने की क्षमता रहती है ।

तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें । उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें । अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली , अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें । उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है ।

दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा (दक्षिण दिशा यम तरंगों के लिए पोषक होती है अर्थात दक्षिण दिशा से यमतरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट एवं प्रक्षेपित होती हैं) की ओर देखते हुए चार मुँह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें । ‘ॐ यमदेवाय नमः ’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।

यम दीपदान का मन्त्र :

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||
इसका अर्थ है, धनत्रयोदशीपर यह दीप मैं सूर्यपुत्रको अर्थात् यमदेवताको अर्पित करता हूं । मृत्युके पाशसे वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें ।

 

धनतेरस के शुभ मुहूर्त

इस दिन स्थिर लग्न में बर्तन आदि सहित कोई भी धातु खरीदना शुभफल दायक होता है।
त्रयोदशी तिथि का मान 04 नवम्बर 2018 दिन रविवार को रात में 12:51बजे से 5 नवम्बर 2018 दिन सोमवार की रात 11:17 बजे तक है | अर्थात त्रयोदशी तिथि अर्थात धन त्रयोदशी तिथि 05 नवम्बर 2018 दिन सोमवार को सूर्योदय से रात 11:17 तक रहेगा।
अतः गृहोपयोगी सामान त्रयोदशी तिथि के स्थिर लग्न में खरीदना श्रेयस्कर होता है। इस दिन सम्पूर्ण दिन उत्तरा हस्त नक्षत्र, विष्कुम्भ योग एवं वज्र योगा व्याप्त रहेगी।

धनतेरस 2018: जानें किस दिन है धनतेरस, क्या है खरीदारी का शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि में स्थिर लग्न

(1) :- सुबह 07:07 से 09:15बजे तक
(2) :-दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक
(3) :- रात 05:35 से 07:30 बजे तक
होने के कारण इस बीच की गयी खरीदारी शुभफल दायी होता है |

इस दिन लक्ष्मी पूजन हेतु श्रेष्ठ मुहूर्त्त प्रदोष काल एवं वृष लग्न 05:35 से 07:30 बजे रात तक है।

इस दिन शुक्र तुला राशि मे स्वगृही होकर मालव्य योग के साथ विद्यमान है तथा मंगल अपनी उच्च राशि मकर में विद्यमान रहेंगे, देव गुरु बृहस्पति मंगल की राशि वृश्चिक में विद्यमान होंगे जो पूर्ण शुभफल दायक होंगे और व्यापारिक वृद्धि एवं चमक धमक में वृद्धि होगी।

 

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