शनि की साढ़े साती का प्रकोप हो तो करें ये उपाय

डॉ. श्रद्धा सोनी

शनिवार का दिन शनिदेव का है. कुंडली मे शनि ग्रह नीच राशिगत , शत्रु क्षैत्री या पाप प्रभाव मे हो या साढ़े साती का प्रकोप हो तो शनिदेव की आराधना के साथ निम्न उपाय करे-:-
* गोरज मुहूर्त में चींटियों को तिल चौली डालना।
* भगवान शंकर पर काले तिल व कच्चा दूध नित्य प्रतिदिन चढ़ाना चाहिए। यदि शिवलिंग पीपल वृक्ष के नीचे हो तो अति उत्तम।
* सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
* सांप को दूध पिलाना।
*  काले उड़द जल में प्रवाहित करें।
* काले उड़द भिखारियों को दान करें।
*  भैरव साधना, मंत्र-जप आदि करें।
* मां भगवती काली की आराधना करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं।
*जातक अपने घर में संध्या के समय गुगल की धूप दें। ऐसे कई उपाय हैं, जिनके द्वारा शनि की शांति होती है।

अत: जातक व पाठकगण श्रद्धा के साथ कोई भी एक उपाय करता रहे, जिससे कि वह स्वयं अनुभव लेकर दूसरे किसी अन्य पीड़ित व्यक्ति के कष्ट दूर कर सकता है। अतः आप बिना किसी संकोच के अपने मन से यह धारणा निकाल दें कि सारे दुःखों का कारण शनि ग्रह ही हैं। शनि ग्रह किसी कार्य को देर से करवाते हैं, परंतु कार्य अत्यंत सफल होता है।
शनिवार को बाल दाढ़ी कटाने या काटने से आयु कम होती है शनिवार को सुबह पीपल के वृक्ष मे दुध मिला मिठा जल चढाना चाहिए व संध्या के समय चौमुखा दीपक जलाने से ग्रहदोष का निवारण होता है, इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने और गायत्री मंत्र का 1 माला जप करने से भय का नाश होता है एवं समस्त बिगड़े कार्य बनने लगते है ।

 

शनिवार का पंचांग

ऊॅ शं शनैश्चराय नमः

विक्रम संवत् 2075
शक संवत – 1940
अयन -दक्षिणायण
ऋतु – वर्षा ऋतु
मास -सावन माह
पक्ष – कृष्ण पक्ष

तिथि -सप्तमी -12:04 तक तदुपरांत षष्ठी ।
तिथि का स्वामी –
सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्यदेव है । सप्तमी तिथि को सूर्यदेव को प्रातः अर्ध्य देने एवं आदित्य हृदय स्रोत का पाठ करने से जीवन मे सुख-समृद्धि, हर्ष उल्लास और पारिवारिक सुखो की कोई भी कमी नही रहती है ।
सप्तमी तिथि को मित्रापदा भी कहते है ।सोमवार व शुक्रवार की सप्तमी को छोड़कर यह तिथि सभी कार्यो के लिए शुभ होती है, शास्त्रानूसार सप्तमी को नीले वस्त्र धारण नही करे और तांबे के बर्तन मे भोजन नही करे ।
सप्तमी तिथि को मीठा भोजन या फलाहार करने व नमक का सेवन नही करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते है ।आज सावन माह का षष्ठम दिवस है सावन माह मे शिवभक्ति कर शिवकृपा पाने का अनुठा अवसर है

नक्षत्र – अश्विनी 15:00 तक पश्चात भरणी ।
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- अश्विनी नक्षत्र के देवता नासत् है । एवं भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी है ।
योग -शूल – 13:00 तक पश्चात गण्ड ।
प्रथम करण- बव – 12:04 तक ।
द्वितीय करण – बालव 23:47 तक ।
गुलिक काल – शनिवार को शुभ गुलिक 6:00 से 7:30 बजे तक ।
दिशाशूल – शनिवार को पुर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर,घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल दिन – 9:00 से10:30 बजे तक।
सूर्योदय – प्रातः 05:40
सूर्यास्त – सायं 06:52
विशेष – सप्तमी को ताड़ का सेवन निषेध ।

मुहूर्त- सप्तमी तिथि को सरकारी कार्य, व्रतबंध, प्रतिष्ठा , विवाह, यात्रा, शिल्प , चूडाकर्म, अन्नप्राशन व गृहप्रवेश भूषणादि के लिए शुभ है ।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण,आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो ”

 

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